कॉन्ग्रेस ने किसानों की कर्ज़ माफ़ी के अपने चुनावी जुमले को जनता के बीच जमकर भुनाया, चुनाव से पहले भी और चुनाव के बाद भी। अब इसे कॉन्ग्रेस का चुनावी पैतरा कह लीजिए या फिर एक सोची-समझी रणनीति। इस रणनीति के तहत कॉन्ग्रेस ने भले ही तीन राज्यों (राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़) की सत्ता अपने हाथों ले ली हो, लेकिन उसकी असलियत अब धीरे-धीरे जगजाहिर हो रही है।
हाल ही में राजस्थान में फ़र्ज़ी कर्ज़ माफ़ी के आँकड़े सामने आए थे। जिससे यह साफ़ हो गया था कि कॉन्ग्रेस पार्टी का कर्ज़ माफ़ी का झूठ पकड़ा गया। जारी की गई सूची में उन किसानों के नाम शामिल थे जिन्होंने कभी बैंक से लोन लिया ही नहीं था।
ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश सरकार में भी देखने को मिला है जिसका असर कॉन्ग्रेस सरकार पर यक़ीनन देखने को मिलेगा। ख़बरों के मुताबिक मध्यप्रदेश में कर्ज़ माफ़ी की घोषणा के बाद वहाँ के किसानों ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि जब कर्ज़ लिया ही नहीं तो माफ़ी कैसी।
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में किसानों का कर्ज़ माफ़ी की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही विवादों में छा गई है। दरअसल हुआ यूँ कि कर्ज़ माफ़ी के लिए जब समितियों की तरफ से पंचायत पर कर्ज़दारों की सूची लिस्ट जारी की तो उनमें जिन किसानों के नाम शामिल थे, उन्होंने ऐसा कोई कर्ज़ लिया ही नहीं था जिसकी माफ़ी से वे ख़ुश हो सकें।
इसके बाद उन किसानों ने ज़िले की सहकारी केंद्रीय बैंक की शाखा व समितियों पर जाकर कर्ज़ लेने संबंधी आपत्ति दर्ज़ कराई, साथ ही इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जब उन्होंने बैंक से कोई कर्ज़ ही नहीं लिया तो फिर उनका नाम ऐसी किसी सूची में कैसे शामिल हो सकता है, जिसके लिए कर्ज़ माफ़ी का प्रावधान किया जा रहा है। बता दें कि किसानों को फसल के लिए ऋण साख सहकारी समीतियों द्वारा ही दिया जाता है।
जानकारी के मुताबिक़, ज़िला सहकारी बैंक की चीनौर शाखा उर्वा सोसायटी का घोटाला सबसे अधिक चर्चित रहा। क़रीब 1,143 किसानों के नाम फ़र्ज़ी ऋण वितरित किया गया जिससे बैंक को लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपए का चूना लगा। इस संबंध में जब पूर्व विधायक बृजेंद्र तिवारी ने एक किसान की जाँच कराई तो पता चला कि ऐसे 300 किसानों के पते ही फर्ज़ी थे। बाक़ी किसानों के पास जाकर पाया कि उन्होंने किसान संबंधी कोई कर्ज़ लिया ही नहीं।
ऐसे में यही सवाल उठता है कि कर्ज़ माफ़ी से जुड़ा यह विवाद अभी और कितने फ़र्ज़ी घोटाले को सामने लाएगा। यह देखना तो फ़िलहाल बाक़ी है, लेकिन उम्मीद यह की जा सकती है कि जल्द ही इस तरह के कर्ज़ माफ़ी के सभी प्रकरणों का जल्द ही पर्दाफ़ाश होगा।