ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमिन (AIMIM) के चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने मुस्लिम युवाओं को शादी करने की नसीहत देते हुए कहा है कि बीवी घर में रहती है तो दिमाग भी हल्का रहता है। इसके साथ ही उन्होंने मुस्लिमों को धर्मनिरपेक्षता (Secularism) का पालन नहीं करने की सलाह दी। उनके भाषण का यह क्लिप सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ओवैसी रविवार (12 दिसंबर) को मुंबई में तिरंगा रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “शादी करेंगे ना, बैचलर मत रहना। बैचलर लोग बहुत परेशान करते हैं।” मुस्लिमों को जल्दी शादी और बच्चे पैदा करने की नसीहत देते ओवैसी ने कहा, “जो 18-19 साल के युवा हैं, वे जल्दी शादी कर लेंगे तो उनके बच्चे होंगे। शादी करोगे न?” AIMIM सांसद ने कहा कि अगर घर बीवी रहती है तो आदमी का दिमाग हल्का रहता है।
मुस्लिमों को धर्मनिरक्षता का पालन नहीं करने की नसीहत
असदुद्दीन ओवैसी ने धर्मनिरपेक्षता को बेकार बताया। उन्होंने कहा, “मैं भारत के मुसलमानों से पूछना चाहता हूँ कि हमें धर्मनिरपेक्षता से क्या मिला? क्या हमें सेक्युलरिज्म से आरक्षण मिला? क्या मस्जिद गिराने वालों को सजा मिली? नहीं, किसी को कुछ नहीं मिला…मैं संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करता हूँ न कि राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता में। कृपया, मुसलमान राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता से दूर रहें।”
#WATCH | I want to ask Muslims of India what we got from secularism?Did we get reservation from Secularism? Did the ppl who demolished the mosque get punishment? No, no one got anything…I believe in constitutional secularism¬ in political secularism: Asaduddin Owaisi (11.12) pic.twitter.com/y9tfRtlD8q
— ANI (@ANI) December 11, 2021
अगर ओवैसी के इसी साल के दूसरे भाषण पर नजर डालें तो पता चलेगा कि वह धर्मनिरपेक्षता की लगातार दुहाई दे रहे हैं। यूपी में अपने चुनावी कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए बाराबंकी में सितंबर 2021 में कहा था कि कि बीजेपी देश के सेक्युलरिज्म को कमजोर कर रही है। बता दें कि ओवैसी के दोनों बयानों को देखें तो ये स्पष्ट हो जाता है कि सेक्युलरिज्म का इस्तेमाल अब तक लोगों को सिर्फ बरगलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।
ओवैसी का ये भी कहना है कि धर्मनिर्पेक्षता से मुस्लिमों को न तो नौकरियों में आरक्षण मिला और न ही निर्णय लेने की क्षमता मिली, बल्कि इससे उनको नुकसान ही हुआ।