Monday, December 23, 2024
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सब्जी छीली, बर्तन धोए, जूते उठाए… स्वर्ण मंदिर में राहुल गाँधी की ‘सेवा’ से नहीं पसीजा SGPC, पूछा- दादी-पिता के ‘कर्मो’ का प्रायश्वित करने आए हो

"क्या वह (राहुल गाँधी) उन कॉन्ग्रेस नेताओं पर टिप्पणी करेंगे जिन्होंने सिखों का नरसंहार किया और फिर भी वो लोग कॉन्ग्रेस पार्टी की बैठकों में शामिल रहे?"

कॉन्ग्रेंस नेता राहुल गाँधी के अमृतसर स्वर्ण मंदिर जाने और सेवा देने पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने खासा एतराज जताया है। भले ही वहाँ उन्होंने महिला श्रद्धालुओं के साथ बैठकर सब्जियाँ छीलीं, श्रद्धालुओं को रोटियाँ परोसी, बर्तन धोए, जोड़ा घर से जूते उठाए, लंगर चखा और मत्था टेका हो। भले ही कुछ सिख विद्वानों ने उनकी सेवा को सराहा, लेकिन एसजीपीसी को उनका ये करना जरा भी रास नहीं आया

एसजीपीसी ने कहा कि उसने दरबार साहिब की यात्रा के दौरान राहुल गाँधी को पूरा सहयोग दिया। हालाँकि एसजीपीसी के महासचिव हरचरण सिंह ग्रेवाल ने उनकी मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने 1984 का मामला उठाया और कहा कि ये किसी अन्य गैर-सिख राजनेता का यहाँ सबसे लंबा प्रवास है आखिर इसका मकसद क्या है?

दरअसल, कॉन्ग्रेस नेता दो दिनों तक स्वर्ण मंदिर में अपनी सेवा देते रहे। उन्होंने इसे लेकर अपने इंस्टाग्राम पर मंगलवार (3 अक्टूबर, 2023) को तस्वीरे पोस्ट करते हुए लिखा, “आज,अमृतसर में स्वर्ण मंदिर, श्री हरमंदिर साहिब पहुँच कर मत्था टेका और सेवा आरंभ की।” वहाँ से निकलने से पहले उन्होंने अरदास भी की।

‘राहुल की दादी ने अकाल तख्त पर हमला करवाया’

भले अधिकांश सिख संगठन राहुल गाँधी के इस दौरे पर चुप्पी साधे रहे और इसे उनकी निजी और आध्यात्मिक यात्रा कहते रहे हों, लेकिन एसजीपीसी इस सबसे नहीं पसीजा। एसजीपीसी महासचिव हरचरण सिंह ग्रेवाल ने एक बयान में कहा, ”राहुल गाँधी की दादी ने अकाल तख्त पर हमला किया था। उनके पिता ने दिल्ली में सिखों के नरसंहार को जायज ठहराते हुए कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती काँप उठती है। किसी ने हमारे जख्मों पर मरहम नहीं लगाया। क्या हम उनके इस दौरे को पश्चाताप कह सकते हैं?”

हरचरण सिंह ग्रेवाल ने आगे कहा, “क्या वह (राहुल गाँधी) उन कॉन्ग्रेस नेताओं पर टिप्पणी करेंगे जिन्होंने सिखों का नरसंहार किया और फिर भी वो लोग कॉन्ग्रेस पार्टी की बैठकों में शामिल रहे? प्रियंका गाँधी जेल में उस महिला से मिलने गईं जो उनके पिता की हत्या में शामिल थी, लेकिन वे कभी दिल्ली की विधवा कॉलोनी में नहीं गए। क्यों?” जब तक इन सवालों का जवाब नहीं दिया जाता तब तक कुछ भी हमारे जख्मों का इलाज नहीं कर सकता।”

‘शायद उनको हो पछतावा’

इस बीच, अकाली दल की दिल्ली यूनिट के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने गाँधी की इस यात्रा और उनके स्वर्ण मंदिर में उनकी सेवा की तारीफ की। उन्होंने कहा, मैं उनके सद्भाव की इज्जत करता हूँ। एसजीपीसी को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सिखो को इतिहास से भी सीख लेनी चाहिए। जहाँगीर ने गुरु अर्जन देव की हत्या करवाई थी, लेकिन गुरु हरगोबिंद सिंह ने इसके बावजूद उनसे अच्छे रिश्ते रखे।

उन्होंने कहा कि किसी के पूर्वजों की गलतियों के लिए उस पर दोष थोपना सिखों की परंपरा नहीं है। वहीं साल 1984 की राज्य की कार्रवाइयों की कड़ी आलोचना करने वाले लेखक अजमेर सिंह का कहना है, “कॉन्ग्रेस के साथ हमारा वैचारिक टकराव है। वह राजनीति है, लेकिन हमें निंदक नहीं होना चाहिए। एक मानवीय कारक भी है।”

उन्होंने आगे कहा हो सकता है कि राहुल गाँधी को अतीत में जो कुछ हुआ उसका पछतावा हो। एसजीपीसी को उन पर हमला नहीं करना चाहिए था। अगर उन्होंने कोई राजनीतिक बयान दिया होता तो बात अलग होती। शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी और अन्य की यात्रा की सुविधा दी थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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