देश के कई राज्यों में लव जिहाद को लेकर चर्चा जारी है और इस पर कानून बनाने की बात की जा रही है। इसी मसले पर शिवसेना ने अब भारतीय जनता पार्टी पर टिप्पणी की है। मंगलवार (नवंबर 24, 2020) को शिवसेना मुखपत्र ‘सामना’ में लव जिहाद पर लेख लिखा गया, जिसमें कहा गया है कि चीन की घुसपैठ, कोरोना, आर्थिक मंदी समेत अन्य मसलों को छोड़कर बीजेपी नेताओं की ओर से लव जिहाद पर कानून बनाने की माँग की जा रही है।
सामना में लिखा गया कि राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा ने मुंबई आकर राज्यपाल से मुलाकात की और लव जिहाद का जिक्र किया। लेकिन भाजपा ने ‘लव जिहाद’ की जो व्याख्या तैयार की है, उसके अनुसार महाराष्ट्र में ऐसे मामले कब और कितने हुए हैं, उसे सामने लाओ। लेकिन बिना कारण गड़े मुर्दे उखाड़कर राज्य का सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास मत करो।
सामना में बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा गया कि भाजपा को हिंदुत्व की लौ लगी है, लव जिहाद उनका नया हथियार है। पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद ये हथियार भंगार में चले जाएँगे, लव जिहाद का मामला कहीं शुरू होगा तो वो पाकिस्तान और बांग्लादेश है। पाकिस्तान के हिंदू समाज की महिलाएँ और लड़कियाँ अत्यंत असुरक्षित तरीके से जीवन-यापन कर रही हैं।
सामना के संपादकीय में आगे लिखा गया है, “लव जिहाद मतलब सिर्फ दो भिन्न धर्मावलंबियों का एक-दूसरे से निकाह तक ही मर्यादित है क्या? सच कहें तो वैचारिक ‘लव जिहाद’ के कारण देश और हिंदुत्व का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। कश्मीर में पाक समर्थक, अनुच्छेद 370 प्रेमी महबूबा मुफ्ती से भाजपा ने सत्ता का निकाह किया, इसलिए इसे भी वैचारिक लव जिहाद क्यों न माना जाए? संघमुक्त व मोदी मुक्त हिंदुस्तान का डंका पीटने वाले नीतीश कुमार को फिर से गोद में बिठाकर सत्ता से निकाह करने को भी लव जिहाद क्यों न माना जाए? हिंदुत्व की रक्षा हर स्तर पर होने की आवश्यकता है। यह सिर्फ ‘रोटी-बेटी’ व्यवहार और चुनाव तक सीमित ना हो।”
सामना के लेख में कहा गया है कि लव जिहाद की जड़ पाकिस्तान में है और अब जड़ को उखाड़े बिना कोई विकल्प नहीं है, यह समझ लेना आवश्यक है। ‘लव जिहाद’ की कमर तोड़नी हो तो उसकी जड़ मतलब पाकिस्तान पर हमला करो। मतलब हिंदुस्तान के हर राज्य में इसको लेकर आंदोलन और कानून आदि बनाने की नौबत नहीं आएगी। अब उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे भाजपा शासित राज्यों में लव जिहाद के विरोध में कानून बनाने की हलचल शुरू है।
भाजपा-एनसीपी की सरकार शपथ ग्रहण के 80 घंटे बाद गिर गई थी और बाद में शिवसेना, राकांपा तथा कॉन्ग्रेस ने मिलकर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाई। इस पर तंज कसते हुए शिवसेना के मुखपत्र में कहा गया है, “एक साल पहले सुबह ‘लव जिहाद’ हुआ था। फिर भी महाविकास आघाड़ी की सरकार आई और टिकी। यह टिकनेवाली ही है!”