मुंबई स्थित आरे क्षेत्र को बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘जंगल’ घोषित करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद लगातार विरोध प्रदर्शन में लगे गई कथित पर्यावरण कार्यकर्ताओं को गहरा धक्का लगा। वहीं हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद मेट्रो परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई शुरू हो गई। ख़बर फैलते ही कई प्रदर्शनकारी वहाँ पर जमा हो गए और सरकारी कार्य में व्यवधान डाला। भाजपा की सहयोगी पार्टी और हाल ही में ‘महायुति’ के लिए सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर राजी हुई शिवसेना भी सरकार के इस निर्णय के ख़िलाफ़ सड़क पर उतर आई है।
शनिवार (सितम्बर 5, 2019) को आरे स्थित जंगलों को बचाने के लिए शिवसेना सड़कों पर उतर आई। शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी को हिरासत में ले लिया गया है। वे वेस्टर्न एक्सप्रेसवे पर विरोध प्रदर्शन कर रही थीं। धारा 144 लागू होने के बाद कम से कम 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। आरे जंगलों के बाहर बैरिकेड लगा कर पुलिस पुलिस ने सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी है।
शिवसेना नेता और ठाकरे परिवार के विश्वस्त संजय राउत ने एक कार्टून के माध्यम से मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस पर निशाना साधा। राउत ने हाईकोर्ट के निर्णय का विरोध करते हुए उस कार्टून को ट्वीट किया। इस कार्टून में मुख्यमंत्री फड़णवीस न्याय की देवी की आँखों में पट्टी बाँधते नज़र आ रहे हैं, जिसपर लिखा हुआ है- “आरे जंगल नहीं है।” ‘युवा सेना’ के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने भी कड़ा विरोध दर्ज कराया।
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) October 5, 2019
उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि मेट्रो के जिस कार्य को गर्व से किया जाना चाहिए था, उसे धूर्तता के साथ रात के अंधेरे में चोर-छिपे किया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों को पेड़ काटने की जगह पीओके में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की सलाह दी।
The use of a large number of police personnel. Hacking trees in the dead of the night, even after winning in court (then why not broad day light) and detention of peaceful protesters and citizens. Who is authorising this? During Code of Conduct? All these powers handed to MMRC? https://t.co/SGv5yySfXn
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) October 5, 2019
आदित्य ठाकरे ने लिखा कि पुलिस की पहरेदारी में जो किया जा रहा है, उससे तेंदुओं का घर छिन जाएगा। वहीँ मुख्यमंत्री फड़णवीस ने विकास की ज़रूरत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन पेड़ों का कटा जाना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि वे ख़ुद आरे में पेड़ों को काटे जाने के ख़िलाफ़ हैं, लेकिन विकास महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि काटे गए पेड़ों की जगह और अधिक पेड़ लगाने के लिए वह आदित्य ठाकरे से बात करने के लिए तैयार हैं।
#AareyForest पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा, बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के मुताबिक यह जंगल नहीं है। जब दिल्ली मेट्रो बननी शुरू हुई तो 20-25 पेड़ काटे गए। इसका विरोध हुआ लेकिन बाद में एक पेड़ के बदले पांच पेड़ लगाए गए। pic.twitter.com/loDaK8MGWE
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) October 5, 2019
वहीं, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने महाराष्ट्र सरकार का समर्थन किया है। उन्होंने इसके लिए दिल्ली मेट्रो का उदाहरण दिया। जावड़ेकर ने बताया कि जब दिल्ली में पहला मेट्रो स्टेशन बनाया जाना था, तब भी 20-25 पेड़ काटे गए थे। उन्होंने याद दिलाया कि विरोध-प्रदर्शन तब भी हुए थे लेकिन काटे गए हरेक पेड़ की जगह 5-5 नए पेड़ लगाए गए थे। जावड़ेकर ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट जब आरे को जंगल घोषित करने से मना कर चुकी है, उसके बाद हंगामा सही नहीं है।