केंद्र सरकार ने हाल ही में सहकारिता मंत्रालय (Cooperation Ministry) का गठन किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। इस पर सोमवार (12 जुलाई 2021) को शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में कहा गया कि अगर शाह इसके जरिए कुछ नया करना चाहते हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। हालाँकि इससे एक दिन पहले महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार में साझीदार राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP) के मुखिया शरद पवार ने बयान दिया था कि राज्य में सहकारिता विभाग में नियम-कानून महाराष्ट्र के कानून के हिसाब से चलेगा और केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
शिवसेना ने सामना में कहा है यदि कोई यह कहता है कि केंद्र सरकार ने भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सहकारी संस्थाओं को अपने अधिकार में लिया है तो यह एक तरह से अपमान की बात है, क्योंकि शाह खुद गुजरात में सहकारिता आंदोलन से जुड़े रहे हैं और निश्चित तौर पर केंद्र के पास इन सहकारी संस्थाओं के माध्यम से राज्यों में विकास कार्यों को बढ़ाने की योजनाएँ हैं।
सामना में कहा गया, “ग्रामीण विकास और सहकारिता, ये दोनों जमीनी मंत्रालय हैं जिनके माध्यम से सीधे तौर पर लोगों का विकास किया जा सकता है और यह गुजरात एवं महाराष्ट्र में देखा भी गया है। हालाँकि शाह के पास गृह मंत्रालय है लेकिन वह संभवतः सहकारिता के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचना चाहते हैं। शाह पहले भी गुजरात की सहकारी संस्थाओं से जुड़े रह चुके हैं और यदि अब वो इसके माध्यम से कुछ नया करना चाहते हैं तो हमें इसका स्वागत करना चाहिए।”
ज्ञात हो कि मनमोहन सिंह की सरकार में देश के कृषि मंत्री रहे शरद पवार ने नए सहकारिता मंत्रालय पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि राज्य में सहकारिता विभाग में नियम-कानून महाराष्ट्र के कानून के हिसाब से चलते हैं और महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा ड्राफ्ट किए गए कानून में हस्तक्षेप करने का केंद्र सरकार को कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा था कि केंद्र में नए सहकारिता मंत्रालय के गठन से समस्याएँ पैदा होने की आशंका नहीं है, क्योंकि ये तो राज्य का मुद्दा है।
हालाँकि महाराष्ट्र में सहकारिता आंदोलन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक स्कैम (MSCB) में 25,000 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में अजीत पवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया था। 2019 में खबर आई थी कि एक गवाह के बयान के बाद ED ने शरद पवार का नाम भी इस घोटाले के आरोपितों में शामिल किया था। उक्त गवाह ने अपने बयान में बताया था कि कैसे शरद पवार ने इस घोटाले में बड़ी भूमिका निभाई थी।
शिवसेना का बयान ऐसे समय आया है जब कॉन्ग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियाँ नया सहकारिता मंत्रालय बनाए जाने और विशेष रूप से इसकी जिम्मेदारी अमित शाह को दिए जाने का विरोध कर रही हैं। कॉन्ग्रेस का कहना है कि केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र से लेकर बंगाल तक की सहकारी संस्थाओं में भाजपा का प्रभाव बढ़ाने के लिए ऐसा किया गया है। कॉन्ग्रेस के अलावा CPI(M) के नेता और दो बार केरल के वित्त मंत्री रहे थॉमस इसाक भी चिंतित हैं। चार बार के विधायक ने कहा कि इसका कुछ गलत उद्देश्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि अमित शाह ने गुजरात के सहकारी बैंकों पर ‘कब्ज़ा’ कर लिया था। दरअसल विपक्ष को डर इस बात का है कि सहकारिता से विकास का मंत्र पूरे भारत में लागू होने पर गरीब किसान और लघु व्यवसायी बड़ी संख्या में सशक्त होंगे, जिससे भाजपा और मजबूत होगी।