पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कॉन्ग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी के मुरीद पत्रकार राजदीप सरदेसाई एक बार फिर अपने शो में उनकी तारीफों के पुल बाँधते नजर आए, लेकिन इस बार उनका सामना केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी से हो गया। ईरानी ने इस मुद्दे पर ऐसे जवाब दिए की सरदेसाई चुप्पी साध गए।
पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने इंडिया टुडे शो में मंत्री ईरानी से कहा कि 2029 में महिला आरक्षण बिल लागू होने से पहले सभी राजनीतिक दलों को महिलाओं को अधिक टिकट देने के लिए अधिक कोशिश करनी चाहिए। इसके आगे उन्होंने पश्चिम बंगाल में हुई हालिया हिंसा को दरकिनार कर कहा कि ममता बनर्जी ने महिलाओं को 40 फीसदी टिकट दिए, नवीन पटनायक ने 33 फीसदी टिकट दिए, क्या आपको लगता है कि आपकी (भाजपा) और कॉन्ग्रेस जैसी पार्टियों को भी ऐसा करने की ज़रूरत है?
इस सवाल से एक तरह से पत्रकार सरदेसाई ने टीएमसी सुप्रीमो बनर्जी को महिला अधिकारों का पुरोधा साबित करने की कोशिश की थी। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ऐसा सटीक जवाब दिया कि राजदीप को आगे कुछ कहते नहीं बना। इसे आप नीचे दिए गए वीडियो में 12.09 से लेकर 13:52 में सुन सकते हैं।
मंत्री ईरानी ने कहा, “मिस्टर सरदेसाई, मेरे देश में एकमात्र राजनीतिक संगठन है, जिसने हमारे संगठन के अंदर महिलाओं के लिए आरक्षण दिया है। यदि आप सोचते हैं कि ममता बंदोपाध्याय (ममता बनर्जी) महिलाओं के अधिकारों की पुरोधा हैं, तो मुझे लगता है कि दूर से इस अत्याचार का अंदाजा लगाने की जगह आपको पश्चिम बंगाल के उन गाँवों में जाने की जरूरत है, जहाँ ममता बंदोपाध्याय का विरोध करने पर महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था।”
उन्होंने आगे कहा, “आपको उन परिवारों का इंटरव्यू लेने की ज़रूरत है, ऐसे वक्त में जब महिलाओं को उनके गाँवों में वापस जाने की इजाजत नहीं थी क्योंकि टीएमसी के गुंडों ने उनका यौन उत्पीड़न किया था। ये जानकारी होने पर भी आपका ममता बनर्जी को महिलाओं के अधिकारों का पुरोधा मानना अपमानजनक है।”
दरअसल, इंटरव्यू की शुरुआत इस पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सवाल किया था कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से सवाल किया था कि जब से बीते हफ्ते महिला आरक्षण बिल संसद में पास हुआ है तब से सरकार, पीएम और सभी बीजेपी नेता इसे विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों से पहले अहम मुद्दा बना रहे है, जबकि अभी ये आरक्षण लागू नहीं होने जा रहा है।
इस पर मंत्री स्मृति ईरानी ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ यानी महिला आरक्षण विधेयक के लागू होने में शामिल प्रक्रियाओं को समझाते हुए कहा कि इसे जनगणना और परिसीमन के बाद 2026 के बाद लागू किया जा सकता है।
हालाँकि, इस बातचीत के दौरान पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने हमेशा की तरह सीएम ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार के कार्यकाल में पश्चिम बंगाल में हुई राजनीतिक हिंसा पर एक शब्द भी नहीं बोला।
इसी के जवाब में केंद्रीय मंत्री ईरानी ने कहा कहा, ” हमारे (पार्टी) राजनीतिक नेतृत्व ने महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने के लिए वह किया है जो इस देश में कोई भी अन्य राजनीतिक दल नहीं कर सका।” उन्होंने कहा कि दशकों से अन्य राजनीतिक दल सत्ता में होने के बावजूद ऐसा नहीं कर सके।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने 2007 में ऐलान किया था कि वह राष्ट्रीय पदाधिकारियों सहित अपने संगठनात्मक पदों में से 33 फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षित करेगी। लेकिन राजदीप सरदेसाई ये सब भूलकर ये जानने में उत्सुक थे कि क्या भाजपा आने चुनावों में महिलाओं को अधिक टिकट देने में ममता बनर्जी की राह चुनेगी।
यह भाजपा ही थी जिसने सबसे पहले संसद और राज्य विधानमंडलों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के समर्थन में एक औपचारिक प्रस्ताव का पालन किया और साल 1994 में इस संबंध में एक आवश्यक संवैधानिक संशोधन की माँग की थी।
यह हैरानी की बात नहीं है कि पत्रकार राजदीप सरदेसाई पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए पंचायत चुनावों या पिछले राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान टीएमसी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई राजनीतिक हिंसा के बारे में पूरी जानकारी होने के बाद भी ममता बनर्जी को महिला अधिकारों के पुरोधा के तौर पर देखते हैं।
उनके पश्चिम बंगाल की सीएम बनर्जी के कायल होने का एक वाकया इस साल जुलाई में पेश आया था। तब ‘द लल्लनटॉप’ के पत्रकार सौरभ द्विवेदी से बात करते हुए सरदेसाई ने पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा को प्रासंगिक बनाने की कोशिश की थी।
इसके साथ ही जब पश्चिम बंगाल की सीएम के राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में विफलता पर बोलने के लिए कहा गया तो उन्होंने ‘क्रोनोलॉजी’ और ‘बंगाल की राजनीतिक संस्कृति’ को सामने लाकर टीएमसी नेता को क्लीन चिट भी दे डाली।
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि पंचायत चुनाव प्रासंगिकता और राजनीतिक कद को बनाए रखने की लड़ाई थी। इस तहर से उस वक्त हुई हिंसा एक राजनीतिक मजबूरी थी।
इस साल अगस्त में ही द लल्लनटॉप कार्यक्रम में सरदेसाई ने दंगों के दौरान महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों के बारे में बात की थी। इस संदर्भ में उन्होंने 1992-1993 में मुंबई दंगों और 2013 में मुजफ्फरनगर में दंगों का भी जिक्र किया।
हालाँकि, जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने इस संदर्भ में पश्चिम बंगाल का जिक्र क्यों नहीं किया, जबकि ये महिलाओं के खिलाफ अपराधों का हालिया उदाहरण था तो सरदेसाई ने यह कहकर लीपापोती करने कि कोशिश की वर्तमान में बंगाल एकमात्र राज्य है जहाँ महिला मुख्यमंत्री है।
सरदेसाई ने अगस्त 2021 में ये स्वीकार किया था कि अगर उन्होंने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुए नरसंहार के बारे में सीएम ममता बनर्जी से पूछा होता तो उन्हें वो ‘रसगुल्ला’ खिलाने से मना कर देतीं। तब उन्होंने हँसते हुए कहा, “मैं उनका इंटरव्यू लेने के लिए वहाँ नहीं गया था। मैं वहाँ ‘चाय पर चर्चा’ के लिए गया था। अगर मैंने उनसे चुनाव के बाद की हिंसा के बारे में पूछा होता तो मुझे रसगुल्ला खाने को नहीं मिलता।”