तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अब्दुल रहमान पर गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर अपने पद के दुरुपयोग करने और संदिग्ध गतिविधियों के भी आरोप लगे हैं। राज्य के सूफी इस्लामिक बोर्ड ने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय की जाँच एजेंडी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पत्र लिखकर जाँच की माँग की है। तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के चेयरमैन पर आरोप हैं कि वो बिना किसी एनओसी के विदेश जाते हैं और विदेशी पैसों की भी हेर फेर करते हैं। सूफी इस्लामिक बोर्ड ने उनके खिलाफ चल रहे कई गंभीर एफआईआर का भी जिक्र किया है।
सूफी इस्लामिक बोर्ड ने आरोप लगाया है कि चेयरमैन की अगुवाई में ‘संदिग्ध काम’ हो रहे हैं। बोर्ड ने उनपर एक मेडिकल कॉलेज के निर्माण में अपने पद के दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं। सूफी इस्लामिक बोर्ड ने अपनी शिकायत में कहा है, “साल 2022 की शुरुआत से इस बारे में जानकारी सार्वजनिक है कि अब्दुल रहमान की अगुवाई में तिरुची के वेप्पुर में एक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। अब्दुल रहमान इस मेडिकल कॉलेज के नाम फंड (पैसा) लाने के लिए अपने सार्वजनिक पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।”
इस्लामिक सूफी बोर्ड ने आरोप लगाए हैं कि ये ‘उगाही’ के पैसे हैं, जो करीब 300 करोड़ हैं। इसके लिए रहमान ने राज्य में कई जगहों पर बैठकें की। शिकायत में कहा गया है कि रहमान ने विदेशों से भी पैसे इकट्ठे किए हैं। शिकायत में बताया गया है कि “अब्दुल रहमान को पता है कि उसे ‘चंदा उगाही’ के लिए विदेश जाने के लिए जरूरी एनओसी नहीं मिलेगा, ऐसे में उसने 27 अक्टूबर 2022 को सऊदी अरबा में उमरा की योजना बनाई। उमरा के नाम पर ही उसने 22-11-2022 को एनओसी प्राप्त किया, जो सरकार के प्रमुख सचिव ने दी। लेकिन वो इस यात्रा पर फंड पाने के लिए काम करता रहा।”
ऐसे किया रहमान ने खेल
सूफी इस्लामिक बोर्ड ने बताया, “अब्दुल रहमान को उमराह के लिए सिर्फ मक्का और मदीना की यात्रा की इजाजत थी, इसके बावजूद वो 3 दिसंबर 2022 को यूएई गया। इसके बाद इसने सऊदी अरब की राजधानी जेद्दा की यात्रा की। उसने 14 दिसंबर 2022 को जेड्डा में प्रपोज्ड मेडिकल कॉलेज के लिए फंडिंग माँगी। इस बारे में सोशल मीडिया पर खूब प्रचार किया गया, ये कहकर कि मेडिकल कॉलेज के लिए बैठक आयोजित की गई। इन पोस्ट में बताया गया कि काफी काम हो चुका है। अब्दुल रहमान का ये काम साफ करता है कि उसने उमरा के लिए मिली एनओसी का गलत इस्तेमाल किया और फर्जी तरीके से वो फंडिंग बटोरने का काम कर रहा था।”
सूफी इस्लामिक बोर्ड ने आरोप लगाए कि अब्दुल रहमान ने सिर्फ मक्का के लिए मिली यात्रा अनुमति को तोड़ा और उसने जेद्दा और यूएई की भी यात्रा की। अब्दुल रहमान पर तिरंगे के अपमान का भी आरोप है। उसके खिलाफ 339/2022 एफआईआर भी दर्ज है। जो चेन्नई के नॉर्थ बीच पुलिस स्टेशन में दर्ज है। ऐसा व्यक्ति, जो देश के तिरंगे का अपमान करता हो, वो विदेशों में भारत का क्या सम्मान बढ़ाएगा? बोर्ड ने अब्दुल रहमान के खिलाफ एनओसी के उल्लंघन और 420 यानी धोखाधड़ी का मुकदमा चलाने की भी माँग की। बता दें कि सितंबर 2022 में भी अब्दुल रहमान के खिलाफ तिरंगे के अपमान के मामले में केस दर्ज हुआ था। ये शिकायत अजमल खान ने दर्ज कराई थी।
इस्लामिक बोर्ड ने बताया है कि अब्दुल रहमान सार्वजनिक पद पर रहते हुए विदेशी मदद भी नहीं ले सकता है। इसके अलावा उस पर फेमा के उल्लंघन का भी मामला बनता है। सूफी बोर्ड का आरोप है कि अब्दुल रहमान राजनीतिक पार्टियों के लिए पैसों की दलाली का भी काम करता है। वो लायजनिंग करता है, ताकि राजनीतिक पार्टियों को काला धन मिले और वो उसे सफेद करा दे। उसके लिए वो ‘कायदे मिल्लत तमिल पेरावई’ नाम के एनजीओ को चलाया है। उसके मलेशिया व साउथ-ईस्ट के कई देशों में अच्छे कॉन्टैक्ट्स हैं।
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