पंजाब कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कॉन्ग्रेस को गुडबॉय कर दिया है। उनके इस कदम ने पार्टी के सभी लोगों को चौंका कर रख दिया है। लोग चौंके भी क्यों न। जाखड़ परिवार करीब 50 साल से कॉन्ग्रेस के साथ जुड़ा हुआ था। जाखड़ की तीसरी पीढ़ी कॉन्ग्रेस के साथ है। लेकिन अब उन्होंने कॉन्ग्रेस को चापलूसों से घिरी हुई पार्टी करार देते हुए सभी पदों से अपना इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस का शीर्ष नेतृत्व चापलूसों से घिरा हुआ है, जिसके कारण पार्टी को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके साथ ही सोनिया गाँधी को नसीहत दे दी है कि वो देशभर में राजनीति करें, लेकिन इससे पंजाब को छोड़ दें। इसके साथ ही उन्होंने उदयपुर में कॉन्ग्रेस के चिंतन शिविर का जिक्र कर कहा कि पार्टी की हालत देखकर तरस आ रहा है। सुनील जाखड़ ने इसे एक औपचारिकता मात्र करार दिया।
सुनील जाखड़ कॉन्ग्रेस का चिंतन शिविर उदयपुर में लगाए जाने पर भी सवाल उठाते हैं। वे कहते हैं कि कॉन्ग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को पार्टी की कोई चिंता नहीं है। क्योंकि अगर चिंता होती तो चिंतन शिविर उदयपुर की जगह उत्तर प्रदेश में लगाती। ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी की 403 सीटों में 300 सीटों पर कॉन्ग्रेस को करारी हार मिली है। उनका कहना है कि जितना वोट कॉन्ग्रेस के उम्मीदवारों को मिला, उससे कहीं अधिक तो एक पंचायत के कैंडिडेट को ही मिल जाता। उन्होंने पार्टी की इस हालत के लिए सीधे तौर पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व, यानी राहुल गाँधी, सोनिया गाँधी और प्रियंका गाँधी को जिम्मेदार ठहराया है।
जो AK-47 नहीं कर पाई वो अंबिका सोनी ने कर दिया
पंजाब को धार्मिक रूप से बाँटने का आरोप लगाते हुए सुनील जाखड़ ने 1984 के उस दौर का जिक्र किया जब पंजाब आतंकवाद की आग से झुलस रहा था। उन्होंने कहा कि एके-47 भी हिंदुओं और सिखों को अलग नहीं कर पाया, लेकिन कॉन्ग्रेस की अंबिका सोनी ने वो कर दिखाया। उन्होंने हिंदुओं और सिखों को आपस में लड़ा दिया। सोनी ने ही ये अफवाह फैलाई थी कि अगर पंजाब में हिंदू व्यक्ति सीएम बन गया तो वो यहाँ आग लगा देगा।
जाखड़ के समर्थन में उतरे सिद्धू
इस बीच नवजोत सिंह सिद्धू ने सुनील जाखड़ का समर्थन करते हुए उनके पार्टी छोड़ने पर कहा कि सिद्धू को जाखड़ को पार्टी को नहीं गंवाना चाहिए। वे पार्टी की संपत्ति उन्होंने कहा कि जो भी मतभेद हैं, उन्हें आपसी सहमति से ,सुलझाया जा सकता है।