सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी नेता और विधायक मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब घोटाला मामले में जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केन्द्रीय जाँच एजेंसी (CBI), दोनों के मामले जमानत दे दी है। मनीष सिसोदिया को यह जमानत मुकदमे में देरी के आधार पर दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट की बीआर गवई और केवी विश्वनाथन सदस्यता वाली बेंच ने शुक्रवार (9 अगस्त, 2024) को मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर निर्णय सुनाया। इससे पहले यह निर्णय अगस्त को सुरक्षित रख लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के जमानत ना देने के फैसले को रद्द कर दिया और मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को ED और CBI दोनों मामलों में जमानत दी है। उन्हें जमानत के लिए ₹10 लाख का बॉन्ड भरना होगा। इसके साथ ही उनके देश छोड़ने पर भी कोर्ट ने रोक लगा दी है। उन्हें अपना पासपोर्ट भी जमा करना होगा। मनीष सिसोदिया को हर सप्ताह दो बार पुलिस के सामने हाजिरी लगानी पड़ेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया के मामले में मुकदमा तेज नहीं चला और यह उनके अधिकारों का हनन है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी आधार पर उन्हें जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि इस मुकदमे के जल्द पूरे होने के आसार नहीं है, ऐसे में मनीष सिसोदिया को जमानत मिलनी चाहिए।
मुकदमे के देरी को लेकर ED ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि यह मनीष सिसोदिया की वजह से हुई है। मनीष सिसोदिया ने इस मामले में कई याचिकाएँ लगाई, जिसके कारण मामला आगे नहीं बढ़ सका। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया की कोई भी याचिका निचली अदालत द्वारा गलत नहीं ठहराई गई है।
सुप्रीम कोर्ट में ED ने सुनवाई के दौरान माँग की कि मनीष सिसोदिया को दिल्ली सचिवालय या भी दिल्ली के मुख्यमंत्री दफ्तर में जाने से रोका जाए। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने ED की यह दलील नहीं मानी। कोर्ट ने कहा कि मामले में सबूत जमा हो चुके हैं, इसलिए उनसे छेड़छाड़ होने की संभावना नहीं है। ED ने कहा है कि हम कोर्ट के पास वापस सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में आ सकते हैं। मनीष सिसोदिया की रिहाई शुक्रवार शाम तक हो सकती है।
गौरतलब है कि दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को ED ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार कर लिया था। वह तब से जेल में बंद हैं। इस बीच उन्हें मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत मिल चुकी है। दिल्ली शराब घोटाला में एजेंसियों का आरोप है कि दिल्ली सरकार ने शराब नीति बदल कर निजी डीलरों को फायदा पहुँचाया। इसके बदले में उनसे पैसे लिए गए और इसका इस्तेमाल गोवा चुनाव में किया।