जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की, उसी दिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भड़काऊ भाषण देकर एक और विवाद खड़ा कर दिया।
पार्क सर्कस मैदान में सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने उन लोगों को कड़ी चेतावनी दी, जो बीजेपी का समर्थन करते हैं या उसे वोट देते हैं। ममता बनर्जी ने कहा, “एक बात याद रखना, बीजेपी की मदद मत करो, बीजेपी का अगर तुम लोग मदद करोगे कोई, तो अल्लाह की कसम, आप लोगों को कोई माफ नहीं करेगा, हम तो माफ नहीं करेंगे।” ‘सर्व धर्म समभाव’ रैली के दौरान सर्कस मैदान में अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा, “जो काफिर हैं, वो डरते हैं, वो मरते हैं, जो लड़ते हैं वो जिंदा रहते हैं, वो बसते हैं, वो काम करते हैं।
सोशल नेटवर्किग साइट ‘एक्स’ पर अंकुर सिंह नाम के यूजर ने उनके इस विवादास्पद वीडियो को शेयर किया और लोगों से कहा – “जो काफिर हैं, वो डरते हैं, जो लड़ते हैं, वो जीतते हैं’ ममता बनर्जी कैसे मुस्लिमों को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद भड़का रही हैं।”
"Jo Kafir hain, woh darte hain"
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) January 22, 2024
"Jo ladte hain, woh jeet te hain"
How Mamata Banerjee is inciting Muslims after Ram Mandir Pran Pratishtha. pic.twitter.com/1CxFT9mybK
बता दें कि ‘काफिर’ एक अपमानजनक व्यंग है, जो मुस्लिमों द्वारा ऐसे किसी भी व्यक्ति को संबोधित किया जाता है, जो इस्लाम में विश्वास नहीं करता या बहुदेववादी और मूर्तिपूजक है। काफिर का मतलब ‘मारने योग्य’ भी होता है।
हालाँकि, यह पहली बार नहीं है कि पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने हिन्दुओं को लेकर अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया है। मई 2022 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वह ईद के मौके पर भीड़ को संबोधित कर रही थीं। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कुछ ऐसा कहा जो सुनने में ‘काफ़िर’ जैसा लगा। उन्होंने कहा, “उन्हें वही करने दीजिए जो वे चाहते हैं। हम डरे हुए नहीं हैं। हम कायर नहीं हैं। हम ‘काफ़िर’ नहीं हैं। हम संघर्ष करते हैं। हम लड़ना जानते हैं। हम उनके खिलाफ लड़ेंगे। हम उन्हें ख़त्म कर देंगे।”
वीडियो वायरल होते ही नेटीजेंस ने आपत्ति जताई। कई लोगों ने एक मौजूदा मुख्यमंत्री द्वारा सार्वजनिक संबोधन में इस शब्द का इस्तेमाल करने पर चिंता व्यक्त की। दिलचस्प बात यह है कि ममता बनर्जी, जो ज्यादातर समय बांग्ला में बोलना पसंद करती हैं, ने हिंदी में बयान दिया, जिससे इन अटकलों को भी बल मिला कि वह कथित तौर पर उन लोगों को संदेश देना चाहती थीं जो बांग्ला नहीं बोलते।
कई नेटिज़न्स ने इस ओर ध्यान दिलाया है। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पश्चिम बंगाल की सीएम ने अपने संबोधन के दौरान क्या कहा, लेकिन उनका विवादास्पद बयान देने का इतिहास रहा है। यह मत भूलिए कि राज्य चुनावों के दौरान, उन्होंने ‘खेला होबे’ नारे का इस्तेमाल किया था, जिसे ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ से जोड़ा जाता है। ऐसे इतिहास को देखते हुए, किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर उन्होंने ‘काफिर‘ शब्द का इस्तेमाल किया और कहा, “हम कायर नहीं हैं और लड़ना जानते हैं।”