तमिलनाडु में NEET की परीक्षा के विरोध में विधानसभा में सोमवार (13 सितंबर 2021) को एक विधेयक पारित किया गया। ये विधेयक एक 19 साल के नीट अभ्यार्थी (धनुष) द्वारा आत्महत्या कर लेने के बाद आया। इस बिल के पेश होने के बाद भी राज्य में सुसाइड का सिलसिला रुका नहीं। खबर है कि अरियालुर जिले में एक छात्रा ने परीक्षा ठीक न होने के कारण आत्महत्या की।
#Breaking | Day after #TamilNadu Assembly passes ‘anti-NEET’ Bill, another student allegedly dies by suicide in the State. Family claims ‘didn’t do well in exam’.
— TIMES NOW (@TimesNow) September 14, 2021
More details by Shilpa Nair. pic.twitter.com/sJ34WpTflR
मेडिकल फील्ड में अपना करियर बनाने का सपना देखने वाले छात्र 12 वीं के बाद से NEET परीक्षा को पास करना अपना सबसे बड़ा लक्ष्य मानते हैं। ये NEET की परीक्षा यानी राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा चिकित्सा क्षेत्र में जाने के लिए उत्तीर्ण करनी अनिवार्य होती है। साल 2013 से इसकी आधिकारिक तौर पर शुरुआत हुई थी। इसी के नतीजे देख छात्रों को केंद्र सरकार द्वारा संचालित तमाम मेडिकल संस्थानों में प्रवेश दिए जाने का प्रावधान किया गया।
अब तमिलनाडु विधानसभा में इसी NEET की परीक्षा पर एक विधेयक पारित किया गया है जिसके बनने से राज्य में NEET एग्जाम को ही आयोजित नहीं किया जाएगा। राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस की डिग्री के लिए 12वीं के मार्क्स के आधार पर एडमिशन दिया जाएगा। सरकारी स्कूलों के स्टूडेंट्स को 7.5% हॉरिजेंटल आरक्षण का लाभ भी दिया जाएगा।
Congrats to Hon’ CM @mkstalin for introducing aBill to scrap #NEET inTNAssembly which enables admissions toMBBS/BDS based on 12th std marks.All states should follow TN model to #BanNeet &save the students from fleecing coaching class fees,frustration,harassment,committing suicide pic.twitter.com/FnGwfPAT12
— P. Wilson MP (@PWilsonDMK) September 13, 2021
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु विधानसभा में मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने इस बिल को पेश किया जिसका कॉन्ग्रेस AIADMK, PMK और अन्य दलों ने समर्थन किया। हालाँकि भारतीय जनता पार्टी इस दौरान विरोध में रही और सदन से वॉकआउट कर लिया। विपक्ष के लोग इस दौरान काले बिल्ले लगाए दिखाई पड़े। सबने मौजूदा सरकार के फैसले की आलोचना की।
You (AIADMK) were in alliance with Centre, you still are. When it came to voting for CAA & farm laws, you should've imposed condition of exemption from NEET. You didn't have courage to raise voice, you ruled in silence until death of aspirants: Tamil Nadu CM MK Stalin in Assembly pic.twitter.com/RpILOM55mL
— The Times Of India (@timesofindia) September 13, 2021
मालूम हो कि नीट परीक्षा के आधिकारिक तौर पर लागू होने के बाद से इसके नुकसान और फायदे दोनों अक्सर गिनाए जाते रहे हैं। 2013 से पहले के संदर्भ में बात करें तो इस NEET परीक्षा को शुरू करने का उद्देश्य था कि छात्रों के भीतर से 7-8 एग्जाम देने का स्ट्रेस कम किया जा सके। नीट से पहले उनको हर संस्थान के लिए अलग परीक्षा देनी पड़ती थी।
मगर, इस परीक्षा ने ये परेशानी को खत्म किया और एक एग्जाम में अर्जित अंकों के बदौलत तय किया जाने लगा कि किस छात्र को कहाँ एडमिशन मिलेगा। इन नंबरों के आधार पर छात्रों को राज्य के मेडिकल कॉलेज में भी एडमिशन लेने की बात है। ये परीक्षा करीबन 10 क्षेत्रीय भाषाओं में होती है। इसका आयोजन सीबीएसई करवाता है और सिलेबस भी उसी आधार पर होता है। लोग इन बातों को पॉजिटिवली भी लेते हैं और कुछ इसके नकारात्मक पक्ष पर बात करते हैं।
The student, identified as Kanimozhi, took the NEET on Sunday but was worried about not performing well. She was found hanging from the ceiling on Monday morning. Her family claimed that she was a brilliant student but was worried about NEET.#TamilNadu #neetexam pic.twitter.com/7s9PN7oVkh
— The Logical Indian (@LogicalIndians) September 14, 2021
अब इस परीक्षा का विरोध देखें तो पता चलता है कि कई राज्यों के कई स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम लागू नहीं होता लेकिन उन्हें मेडिकल एग्जाम उत्तीर्ण करने की इच्छा होती है। ऐसे में उन्हें अलग से तैयारी करनी पड़ती है। उसके लिए फीस भी देनी पड़ती है। हालाँकि, नीट परीक्षा ने छात्रों की सारी मेहनत एक एग्जाम के लिए केंद्रित कर दी। तमिलनाडु जैसे राज्य में नीट का विरोध शुरुआती दौर में भी हुआ था। कहते हैं कि वहाँ पहले भी 12वीं परीक्षा के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिया जाता था। लेकिन नीट के बाद ये चलन खत्म हो गया और छात्र व अभिभावक इस कदम से नाराज हो गए। कुछ सुसाइड के मामले भी सामने आए और इसी मुद्दे पर डीएमके ने चुनावी वायदा भी किया।
राज्य चुनावों के दौरान DMK ने नीट (NEET) को ‘रद्द’ करने का वायदा किया था। लेकिन हाल में जब ऐसा नहीं हुआ तो एक छात्र ने आत्महत्या तक कर ली। इस घटना के बाद मौजूदा सरकार के विरोध में आवाजें उठीं। नतीजन विधानसभा में नीट परीक्षा न आयोजित कराने को लेकर बिल पास हो गया। अब सोशल मीडिया पर एक धड़ा इस कदम पर चलने के लिए बाकी राज्यों को भी कह रहा है। वहीं दूसरा धड़ा कह रहा है कि तमिलनाडु को ऐसा फैसला नहीं लेना चाहिए क्योंकि कई बार 12वीं के नंबर ये तय नहीं करते कि छात्र मेडिकल फील्ड में कैसा पर्फॉर्म करेगा।