तमिलनाडु से कॉन्ग्रेस की महिला सांसद ज्योतिमणि का भगवान श्रीराम पर दिया गया विवादित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में उन्हें टाइम्स नाऊ से बातचीत में कहते सुना जा सकता है कि राज्य में कोई भी भगवान राम को नहीं जानता। उनके तो राज्य में मंदिर भी नहीं है।
I’m from Tamil Nadu, I don’t know Ram
— Tinku Venkatesh | ಟಿಂಕು ವೆಂಕಟೇಶ್ (@tweets_tinku) April 19, 2022
You ask anybody in Tamil Nadu
We don’t see any Ram Temple
TN Congress MP, Jothimani pic.twitter.com/cmCTevhCwP
वह कहती हैं, “मैं तमिलनाडु से हूँ। मैं नहीं जानती कि राम कौन हैं। हम स्थानीय हैं और हम अपने पूर्वजों का अनुसरण करते हैं। आप किसी से भी तमिलनाडु में पूछेंगी- हमने कभी कोई राम मंदिर तमिलनाडु में नहीं देखा। हर हफ्ते मैं अपने मंदिर जाती हूँ…मेरे पूर्वज करते थे। हम लोग चाहे- दलित हों, ओबीसी हों, आदिवासी हों, हम लोग मूल निवासी हैं और हम अपने पूर्वजों को पूजते हैं।”
वह कहती हैं, “राष्ट्रीय राजनीति में आने से पहले मैं ये नहीं जानती थी। मैं रामायण पढ़ती हूँ, महाभारत पढ़ती हूँ… लेकिन जब पूजा पाठ की बात आती है हम अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं।”
तमिलनाडु में श्रीराम को समर्पित मंदिर
गौरतलब है कि कॉन्ग्रेस सांसद की यह वीडियो टिंकी वेंकटेश ने अपने ट्विटर पर शेयर की है। वीडियो के बैकग्राउंड में टाइम्स नाऊ समिट का बैनर लगा है। इस वीडियो को देखने के बाद कॉन्ग्रेस महिला नेता पर हिंदू भावनाएँ आहत करने का इल्जाम लग रहा है। लोग याद दिला रहे हैं कि उन्होंने जो कहा वो अगर सच है, कि तमिलनाडु में भगवान राम का मंदिर नहीं है, तो त्रिचि के पास श्री रंगम में श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर, तिरुवन्नामलाई के पास आदि श्री रंगम मंदिर, पल्लीकोंडा में श्री रंगनाथर मंदिर, मदुरंतगाम में एरी कथा रामर मंदिर, रामेश्वरम में रामनाथ स्वामी मंदिर…आदि किसके हैं।
श्रीराम पर सवाल उठा कॉन्ग्रेस हिंदू भावना से करती रही है खिलवाड़
बता दें कि ज्योतिम पहली कॉन्ग्रेस नेता नहीं है जिन्होंने श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर विवादित बयान दिया हो। इसे पहले साल 2020 में कॉन्ग्रेस नेता कुमार केतकर ने श्रीराम पर सवाल खड़े किए थे और उन्हें केवल साहित्य की रचना बताया था।
इसके अलावा साल 2007 में कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था, “वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस प्राचीन भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इसमें दर्शाए गए पात्रों और घटनाओं के अस्तित्व को साबित करने के लिए इसे ऐतिहासिक सबूत नहीं माना जा सकता है।”