बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होने के साथ ही राजद कैम्प में हलचल शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के दोनों पुत्रों बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और छोटे बेटे के तेजस्वी यादव बीच अनबन की ख़बरें लगातार आ रही थी। लेकिन कुछ दिनों पहले तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प लिया। इसके बाद लालू परिवार में सबकुछ ठीक-ठाक होने के कयास लगाए जाने लगे।
तेजस्वी के लिए तेज प्रताप ने एक नारा भी दिया है- ‘तेज़ रफ़्तार, तेजस्वी सरकार’। लेकिन, इसके लिए आयोजित कार्यक्रम में वे नहीं पहुँच सके। ‘तेज़ रफ़्तार, तेजस्वी सरकार’ कार्यक्रम में जाते समय उनकी कार की रफ़्तार धीमी रह गई और तेज प्रताप की ट्रेन छूट गई। बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव को पाटलिपुत्र स्टेशन से जनहित एक्सप्रेस से सहरसा जाना था, लेकिन वो समय से स्टेशन नहीं पहुँच सके और कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए।
सहरसा स्टेशन पर तेज प्रताप यादव के समर्थक काफी संख्या में जुटे थे और अपने नेता का इन्तजार कर रहे थे। जब उन्हें सूचना मिली कि उनके नेता की ट्रेन छूट गई है तो वे मायूस होकर लौट गए। इसके बाद तेज प्रताप सड़क के रास्ते ही निकल गए। ताज़ा सूचना के अनुसार, वो दरभंगा पहुँचे हुए थे और रास्ते में लोगों से मिलते चल रहे थे। विभिन्न हिन्दू देवी-देवताओं के गेट-अप के लिए चर्चा में रहने वाले तेज प्रताप यादव का राजद के एक ख़ास समर्थक वर्ग में बड़ा क्रेज है।
NRC, CAA और NPR के खिलाफ जनाक्रोश को संबोधित करने के लिए आज सहरसा का कार्यक्रम है, किंतु किसी कारण ट्रेन छूट गई लेकिन हम रुकने वाले कहाँ।
— Tej Pratap Yadav (@TejYadav14) February 18, 2020
दरभंगा पहूँच चुका हूँ By Road.. जगह-जगह कार्यकर्ताओं का प्यार और सम्मान पा कर अति प्रसन्न हूँ।। pic.twitter.com/MXdMJ3N0Y2
जहाँ तक बिहार विधानसभा चुनाव की बात है, कई विपक्षी दलों की माँग है कि वरिष्ठ नेता शरद यादव के नेतृत्व में समूचे विपक्ष को चुनाव में उतरना चाहिए लेकिन राजद इसके लिए तैयार नहीं है। जीतन राम माँझी, मुकेश साहनी और उपेंद्र कुशवाहा इस बात पर अड़े हैं कि शरद यादव को संयुक्त विपक्ष का मुख्यमंत्री उम्मीदवार का चेहरा घोषित किया जाए। इन तीनों नेताओं ने पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के साथ बैठक भी की थी, जिसमें कॉन्ग्रेस और राजद को आमंत्रित नहीं किया गया था।