जम्मू और कश्मीर की राजनीति के सबसे चर्चित चेहरों में से एक गुलाम नबी आजाद को एक आतंकवादी संगठन द्वारा कथित तौर पर धमकी देने की बात सामने आई है। यह धमकी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े समूह रेसिसटेंस फ्रंट टेरर (TRF) ने दी है। बताया जा रहा है कि इस धमकी में आतंकी समूह ने भारत के गृह मंत्री अमित शाह का भी जी जिक्र किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूर्व कॉन्ग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद जम्मू और कश्मीर में नई पार्टी के गठन की तैयारी में लगे हुए हैं। वह मिशन कश्मीर के हिस्से के रूप में रैलियाँ निकालने वाले हैं, लेकिन इससे पहले ही उन्हें आतंकवादियों द्वारा धमकी दी जा रही है। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े समूह रेसिसटेंस फ्रंट टेरर ने सोशल मीडिया पर पोस्टर जारी कर आजाद को धमकाया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस धमकी भरे पोस्टर में लिखा गया है, “गद्दार के दिल में कोई वफादारी नहीं होती, केवल खुद को भरोसेमंद दिखाने का झूठा नाटक होता है।” वहीं इस पोस्टर के माध्यम से गुलाम नबी आजाद को ‘राजनीतिक गिरगिट’ भी बताया गया है। इसके अलावा पोस्टर में यह भी दावा किया गया है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी।
अनुच्छेद 370 पर दिया था बयान
गौरलतब है की हाल ही में गुलाम नबी आजाद ने वर्ष 2019 में केंद्र सरकार द्वारा हटाए गए अनुच्छेद 370 पर एक बड़ा बयान जारी किया था। उन्होंने कहा, “मैं या कॉन्ग्रेस पार्टी या तीन क्षेत्रीय दल आपको अनुच्छेद 370 वापस नहीं दे सकते न ही ममता बनर्जी, न ही डीएमके और न ही शरद पवार।” उनके मुताबिक वे तो क्या कोई भी आर्टिकल 370 को वापस नहीं दिला सकता है।
बता दें उन्होंने यह बयान रविवार (11 सितंबर 2022) को उत्तरी कश्मीर के बारामूला में एक जनसभा को संबोधित करते हुए दिया था। गुलाम ने कहा, “कुछ लोग कह रहे हैं कि मैं अनुच्छेद 370 के बारे में बात नहीं करता हूँ। मैं उन्हें बताना चाहता हूँ कि आजाद चुनावी फायदे के लिए लोगों को बेवकूफ नहीं बनाते हैं। अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए लोकसभा में लगभग 350 वोटों की आवश्यकता होगी, जबकि राज्यसभा में 175 वोटों की आवश्यकता होगी। यह एक संख्या है जो किसी भी राजनीतिक दल के पास नहीं है या कभी भी मिलने की संभावना नहीं है।”