Friday, November 22, 2024
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‘मनोज झा की जीभ खींचकर फेंक देता’: RJD सांसद की ‘ठाकुर’ वाली कविता पर भड़के आनंद मोहन, विधायक बेटे ने कहा- यह दोगलापन है

उन्होंने स्पष्ट किया कि हम उनमें से नहीं हैं जो चूड़ी पहन कर चुपचाप बैठ जाएँ, हम खुल कर और जम कर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि सब कान खोल कर सुन लें कि पार्टी फोरम में भी इसे रखा जाएगा कि किसी जाति को निशाना बना कर राजनीति नहीं की जा सकती है।

राज्यसभा में राजद के सांसद मनोज झा ने एक कविता पढ़ी, जिसके बाद उनकी ही पार्टी के विधायक ने इस पर आपत्ति जताई है। जहाँ राजद ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से उनका वीडियो शेयर करते हुए इसे शानदार और दमदार बताया, वहीं शिवहर से विधायक चेतन आनंद ने इसकी आलोचना की है। बता दें कि चेतन आनंद बिहार के दिग्गज नेता आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद के बेटे हैं। आनंद और लवली, दोनों सांसद रह चुके हैं। मनोज ठाकुर जो को कविता पढ़ी, वो कुछ इस प्रकार थी:

चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का।
भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का।
खेत ठाकुर का, बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का।
हल की मूठ पर हथेली अपनी, फ़सल ठाकुर की।
कुआँ ठाकुर का, पानी ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के, गली-मुहल्ले ठाकुर के, फिर अपना क्या?
गाँव? शहर? देश?

हालाँकि, मनोज झा ने ‘दलित साहित्यकार’ ओमप्रकाश वाल्मीकि द्वारा लिखित इस कविता को पढ़ते समय कहा था कि इसका संबंध किसी जाति विशेष से नहीं है, लेकिन कई राजपूत संगठनों ने सोशल मीडिया में इस पर आपत्ति जताई। नीचे संलग्न किए गए वीडियो में आप 11 मिनट के बाद उन्हें आप इस कविता को पढ़ते हुए देख सकते हैं। इसमें उन्होंने लिखा था कि इस कविता में जो प्रतीक हैं, वो किसी जाति विशेष के लिए नहीं हैं। साथ ही उन्होंने कहा था कि हम सबके अंदर एक ठाकुर है जो न्यायालयों, विश्वविद्यालयों और संसद में बैठा हुआ है।

साथ ही कविता पढ़ते के बाद उन्होंने कहा था, “वो ठाकुर मैं भी हूँ। वो ठाकुर विधायिका को कंट्रोल करता है। उस ठाकुर को मारो, जो हमारे अंदर है।” अब विधायक चेतन आनंद ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि राज्यसभा में ठाकुरों के ऊपर कविता पढ़ी गई। उन्होंने कहा कि उन्हें आश्चर्य होता है कि ये लोग खुद को समाजवाद के सिपाही समझते हैं और आश्चर्य इससे भी होता है कि उन्होंने कहा कि वो जात-पात पर नहीं जा रहे हैं और बाद में ठाकुरों को ही गुंडा बना दिया।

चेतन आनंद ने इसे ‘दोगलापन’ बताते हुए कहा कि ये सबको पता है कि देश भर में ठाकुर टाइटल कौन लोग यूज करते हैं। उन्होंने पूछा कि आपको ठाकुरों से क्या एलर्जी है? दुनिया में इतनी सारी कविताएँ हैं, कभी आपने उनका इस्तेमाल नहीं किया? उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों पर भी नकारात्मक कविताएँ हैं, लेकिन वो इन्हें सही नहीं मानते। उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों पर अगर कविता पढ़ी होती तो बनगाँव जहाँ वो रहते हैं, वहाँ उन्हें लोग घुसने नहीं देंगे। चेतन आनंद ने स्पष्ट किया कि किसी को सॉफ्ट टारगेट बनाए जाने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

चेतन आनंद ने कहा, “जो वहाँ पर हमारे समाज के लोग बैठे हुए थे, वो पक्ष में हों या विपक्ष में, जो वहाँ बैठ कर ये सब सुन रहे थे, अगर हम उस समय सदन में होते तो धरना देते, विरोध प्रदर्शन करते और इन्हें बोलने नहीं देते, चुपचाप सुनने नहीं देते। हमारी पार्टी A to Z फ़ॉर्मूला पर चलती रही है, जिसे लोग बिगाड़ना चाहते हैं। सवर्णों के खिलाफ मंत्रियों के बयान आए। समाजवाद हमेशा A to Z के साथ आएगा। समाजवाद का अर्थ है सबको साथ लेकर चलना।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि हम उनमें से नहीं हैं जो चूड़ी पहन कर चुपचाप बैठ जाएँ, हम खुल कर और जम कर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि सब कान खोल कर सुन लें कि पार्टी फोरम में भी इसे रखा जाएगा कि किसी जाति को निशाना बना कर राजनीति नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि गलतबयानी करने वालों को जनभावनाओं से खिलवाड़ न कर के माफ़ी माँगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज बैकवर्ड-फॉरवर्ड से देश ऊपर उठ चुका है। उन्होंने पूछा कि अगर आपको खून की ज़रूरत पड़ गई तो आप ये देखिएगा कि वो ठाकुर का है या नहीं है?

उन्होंने कहा कि ठाकुर का अर्थ होता है देने वाला, भगवान श्रीकृष्ण को भी ठाकुर बोला जाता है, और आप ठाकुर बोलने चले हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप इतने समाजवादी हैं तो अंदर के ब्राह्मण को मारने की बात कीजिए। उन्होंने निशाना साधा कि आप ‘मनोज झा’ लिखते हैं, सरनेम भी, जबकि हम ‘चेतन आनंद’ लिखते हैं, जिसमें कोई सरनेम नहीं है। चेतन आनंद ने कहा कि उन पर धिक्कार है, जो संसद में इस कविता को सुन रहे थे और मजे ले रहे थे।

इस दौरान उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधा और पूछा कि खुद को राजपूत बताने वाले लोग कहाँ है, वो पॉपकॉर्न भी लेकर आ जाते और मजे करते। उन्होंने पूछा कि क्या इसीलिए लोग आपको चुन कर के भेजते हैं? वहीं उनके पिता और हाल ही में आजीवन कारावास की सज़ा काट कर निकले आनंद मोहन ने कहा कि अगर वो राज्यसभा में होते तो मनोज झा की जीभ खींच कर आसान की तरफ उछाल देते। उन्होंने पूछा कि मनोज झा अपने नाम में ‘झा’ क्यों लगाते हैं?

महिषी से विधायक और शिवहर से सांसद रहे आनंद मोहन ने कहा कि रामायण में ठाकुर, महाभारत में ठाकुर, मंदिर में ठाकुर है, कहाँ-कहाँ से भगाओ? वहीं जदयू प्रवक्ता सुनील कुमार सिंह ने भी कहा कि मनोज झा को भारत के इतिहास में ठाकुरों का बलिदान नहीं पता है। उन्होंने कहा, “हमने बलिदान दिया, सिर कटाया, हमारे घर की स्त्रियाँ सती हुईं। किसी ने ये भी कहा है कि मैथिल ब्राह्मण और नाग में पहले मैथिल ब्राह्मण को मारो। ये उपयोग हो सकता है क्या?”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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