टीएमसी नेता के साथ ममता बनर्जी की बातचीत की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आने के एक दिन बाद पार्टी ने स्वीकार किया है कि रिकॉर्डिंग असली है। इस मामले में टीएमसी ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर भाजपा पर गैरकानूनी तरीके से मुख्यमंत्री की कॉल रिकॉर्ड करने का आरोप लगाया है।
टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा, डेरेक ओ ब्रायन और पूर्णेंदु बसु के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है कि भाजपा नेता अमित मालवीय और लॉकेट चटर्जी ने 16 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जहाँ कॉल रिकॉर्डिंग जारी की गई थी। पत्र में बीजेपी पर गैरकानूनी तरीके से टीएमसी कार्यकर्ता पार्थ प्रतिम रे और सीएम ममता बनर्जी के फोन कॉल को रिकॉर्ड किया गया और उसे वायरल किया गया।
पत्र में कहा गया है, ”बीजेपी द्वारा किए गए सभी कार्य गैरकानूनी है और यह कानूनी अधिकारों पर डायरेक्ट अटैक है। इसे सीएम ममता बनर्जी का निजता का अधिकार भी शामिल है।” पार्टी ने दावा किया है कि कॉल रिकॉर्ड करना संविधान के इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 और आईपीसी 1860 का सीधा उल्लंघन है। हालाकि, पार्टी ने यह नहीं बताया कि बीजेपी ने संविधान की कौन सी अनुसूची या अनुभाग में लिखे कानूनों का उल्लंघन किया है।
Trinamool Congress (TMC) writes to Chief Electoral Officer, West Bengal over “recording of phone conversation between CM Mamata Banerjee and Partha Pratim Ray.” pic.twitter.com/D4EBOPO6Gp
— ANI (@ANI) April 17, 2021
टीएमसी ने कहा कि क्योंकि चुनाव के दौरान ऑडियोटेप जारी किया गया है, इसलिए वे चुनाव आयोग से मामले की जाँच कर जरूरी कार्रवाई का अनुरोध करते हैं।
इस मामले में आरोप लगाया जा रहा है कि बीजेपी ने सीएम ममता बनर्जी के फोन कॉल को गैरकानूनी तरीके से रिकॉर्ड किया और इसे जारी कर दिया। टीएमसी ने इसे स्वीकार भी कर लिया कि ऑडियो असली है। ममता बनर्जी ने ऑडियो में सुनाई गई आवाज पर टिप्पणी भी की है।
इससे एक दिन पहले ममता बनर्जी ने इसको लेकर कहा था कि वह अपने फोन टैपिंग में शामिल सभी आरोपितों का पता लगाएँगी और इसकी सीबीआई जाँच के आदेश देंगी।
गौरतलब है कि ममता का ऑडियो शुक्रवार को सामने आया था, जिसमें ममता को TMC नेता पार्थ प्रतिम रे से चौथे चरण की वोटिंग के दौरान CISF की फायरिंग में मारे गए उपद्रवी TMC कार्यकर्ताओं की मौत के बारे बातचीत करते हुए सुना गया था। ऑडियो में स्पष्ट सुना जा सकता है कि ममता बनर्जी उद्रवियों को गोली मारने के मामले में केंद्रीय सशस्त्र बलों को धमकी दे रही हैं। वह केंद्रीय बलों को जेल भिजवाने की धमकी दे रही हैं।
बता दें कि उपद्रवियों ने सुरक्षाबलों के हथियार छीनने की कोशिश की थी, जिसके बाद आत्मरक्षा में उन्होंने गोली चलाई थी। ऑडियो में सुना जा सकता है कि ममता बनर्जी जनता की सहानुभूति हासिल करने के लिए मारे गए टीएमसी कार्यकर्ताओं के शवों के साथ रैली निकालने का निर्देश देती हैं।
ममता कहती हैं, “पार्थ पहले अपना वोट डाल दो और फिर हम बैठकर फैसला करेंगे। मैं सीआरपीएफ सहित सभी को गिरफ्तार करवाऊंगी। सभी शवों को रखें। हम कल लाशों के साथ रैली निकालेंगे। मरने वालों के परिवारों को बताएँ कि शवों को उन्हें नहीं सौंपा जा सकता है। सब कुछ ठीक हो जाएगा। अपना वोट डालें और शांत रहें। वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि आप अपना वोट न डाल सकें। ”
लाशों पर चर्चा करने के बाद उन्होंने सीआरपीएफ की गोली से मरने वाले लोगों के राजनीतिक कनेक्शन के बारे में छानबीन की। जब उन्हें यह पता चला कि मरने वाले उन्हीं की पार्टी के समर्थक हैं, ममता ने पार्थ प्रतिम रॉय को वकीलों की मदद से पहले एफआईआर दर्ज कराने की सलाह दी। ममता बनर्जी ने आगे कहा, “एफआईआर दर्ज कराओ। एक वकील को किराए पर ले लो और खुद से ऐसा मत करना। मैं मृतकों के परिवार के सदस्यों को चुनाव के बाद एफआईआर दर्ज करने के लिए कहूंगी। अभी तक पुलिस ने परिवार के सदस्यों का कोई भी बयान नहीं लिया है।”
टीएमसी सुप्रीमो ने पार्टी कार्यकर्ता को यह कहते हुए डर पैदा करने का निर्देश दिया कि केंद्रीय बल एनपीआर को लागू करने और राज्य में डिटेंशन सेंटर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।