माकपा के नेतृत्व वाली केरल की वामपंथी सरकार हिंदू विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए तमाम जतन में लगी रहती है। इसी कड़ी में सरकार ने त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड के तहत आने वाले स्कूलों में अरबी शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला किया। इसके लिए हिंदू मंदिरों द्वारा प्रबंधित स्कूलों के फंड का इस्तेमाल किया जाएगा।
ऑर्गेनाइजर के अनुसार केरल के मंदिरों की प्रशासकीय जिम्मेदारी सॅंभालने वाले त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड ने अपने अधीन आने वाले स्कूलों में अरबी शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला किया है। केरल सरकार ने उसे यह जिम्मेदारी सौंपी है। बोर्ड ने चार अरबी शिक्षकों की सूची भी फाइनल कर ली है।
अरबी शिक्षकों के लिए बोर्ड की ओर फाइनल की गई सूची में शमीरा, बुशरा बेगम, मुबाश और सुमय्या मोहम्मद के नाम हैं।
संयोग है कि, बोर्ड ने अभी तक इन स्कूलों में संस्कृत भाषा की शिक्षा देने हेतु किसी भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की है। संस्कृत देश की प्राचीन भाषा है और संविधान की 8 वीं अनुसूची में उल्लेखित है। वहीं अरबी का न तो इस देश से और न ही यहॉं की ज्यादातर आबादी से कोई सरोकार है।
इसके अलावा बोर्ड हिंदू मंदिरों द्वारा प्रबंधित कई स्कूलों के लिए गणित, संगीत, सामाजिक विज्ञान, हिंदी जैसे विषयों के शिक्षकों की भी नियुक्ति करेगा। ये सभी विषय केरल की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा रेगुलेट किए जाते हैं।
Another secular nail on Hindu’s coffins.
— Pratheesh Viswanath (@pratheesh_Hind) July 23, 2020
Devaswom board run schools wants to teach Arabic in schools. All 4 on top of rank list is muslims.
Means Hindus’ money will be given as salary to muslims.#Kerala. pic.twitter.com/cqgrm0Axb0
गौरतलब है कि त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड त्रावणकोर कोचीन हिंदू धार्मिक संस्था अधिनियम XV के तहत गठित एक स्वायत्त निकाय है। त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड को केरल राज्य में 1,248 मंदिरों के प्रबंधन को देखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इन मंदिरों को 1949 में त्रावणकोर और कोचीन की रियासतों के एकीकरण से पहले इन मंदिरों की देखरेख त्रावणकोर के शासक करते थे। मंदिरों की देखरेख के लिए बनाए गए बोर्ड के सदस्य सरकार और स्थानीय सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।