फौरी तीन तलाक को अपराध बनाने वाले कानून पर कुछ अख़बारों में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का लेख प्रकाशित हुआ है। इसमें उन्होंने कहा है कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं के न्याय और सम्मान की दिशा में एक ऐसी सफलता है जिसकी प्रतीक्षा दशकों से थी। साथ ही यह विधेयक लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा।
अमित शाह ने लिखा है कि विपक्ष के तमाम गतिरोध के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने इसे पूरा करने की दिशा में प्रयास जारी रखे और अंतत: कामयाबी हासिल हुई। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून प्रभाव में आ गया है। शाह का कहना है कि यह बिल तीन तलाक जैसी कुप्रथा का दंश झेल रही महिलाओं को संरक्षण प्रदान करेगा।
आगे उन्होंने कहा है कि इस बिल को महिलाओं के सम्मान, स्वाभिमान और गरिमायुक्त जीवन के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता और निरंतर प्रयासों की जीत के रूप में देखा जाना चाहिए। तीन तलाक पर चर्चा ने विपक्षी दलों के वास्तविक चरित्र को उजागर किया, जिनके लिए महिलाओं के आत्मसम्मान से ज्यादा महत्वपूर्ण वोट बैंक का तुष्टिकरण है।
गृह मंत्री ने कॉन्ग्रेस के दिनों को याद करते हुए लिखा कि तीन दशक पूर्व एक अवसर तब आया था, जब शाहबानो मामले में 400 से अधिक सांसदों वाली कॉन्ग्रेस मुस्लिम महिलाओं को इस दंश से मुक्त करा सकती थी। 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक से पीड़ित शाहबानो के पक्ष में फैसला देते हुए उसे 500 रुपए प्रति माह के गुजारा भत्ते का प्रावधान रखते हुए कहा था कि यह फैसला शरीयत के अनुसार है। मगर, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने इसे लागू करने के बजाय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मौलवियों और वोट बैंक की राजनीति के दबाव में आकर एक नया कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया।
अमित शाह का कहना है कि यदि तीन तलाक ईरान, इराक, सीरिया और पाकिस्तान जैसे 19 देशों में अमान्य है तो इसका यही कारण है कि वर्तमान समाज की आवश्यकताओं के बीच दकियानूसी परंपराओं को लेकर नहीं चल सकते। भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में महिलाओं के अधिकारों एवं गरिमा का हनन करने वाली इस कुप्रथा का बने रहना शर्मनाक था। विपक्षी दलों की यह आपत्ति निराधार है कि इसे सिर्फ मुस्लिम समाज के लिए क्यों किया जा रहा?
उन्होंने कहा कि तीन तलाक संबंधी कानून मुस्लिम महिलाओं के हितों और अधिकारों की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम सिद्ध होगा। अब उनके लिए एक नए युग का आरंभ होगा और तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति के अंत की शुरुआत होगी। शाह ने कहा कि तीन तलाक संबंधी कानून बनने के बाद इतिहास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम निश्चित रूप से राजा राममोहन राय और ईश्वरचंद्र विद्यासागर सरीखे सामाजिक सुधारकों की श्रेणी में रखा जाएगा।