Sunday, November 17, 2024
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‘जानवर की चर्बी’ वाले सारे आरोप निराधार और भ्रामक: तिरुपति प्रसाद में मामले में घिरे पूर्व CM जगन मोहन रेड्डी ने PM मोदी को चिट्ठी लिखी, CM नायडू के दावे को फर्जी कहा

रेड्डी ने नायडू पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक लाभ के लिए हिंदू भक्तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और टीटीडी की पवित्रता पर सवाल उठाकर जनता में भ्रम फैला रहे हैं।

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को लेकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के बीच एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद तब और गहरा हो गया जब जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक कड़ी चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने चंद्रबाबू नायडू द्वारा टीटीडी और तिरुपति लड्डू के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले घी की गुणवत्ता पर उठाए गए सवालों को निराधार और भ्रामक बताया।

चंद्रबाबू नायडू पर गंभीर आरोप

जगन मोहन रेड्डी ने अपनी चिट्ठी में चंद्रबाबू नायडू को एक “आदतन झूठा” बताते हुए कहा कि नायडू ने राजनीतिक लाभ के लिए करोड़ों हिंदू भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाई है। रेड्डी के अनुसार, नायडू द्वारा तिरुमला तिरुपति देवस्थानम पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं और सिर्फ राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू की ये टिप्पणी न केवल टीटीडी की पवित्रता को धूमिल करती है, बल्कि इससे भक्तों के मन में टीटीडी के प्रति संदेह भी उत्पन्न होता है। रेड्डी ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि नायडू की इस हरकत पर सख्त कार्रवाई की जाए और सच्चाई को उजागर किया जाए ताकि भक्तों का विश्वास टीटीडी पर बना रहे।

तिरुपति लड्डू घी विवाद

यह विवाद तब शुरू हुआ जब चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी की शुद्धता पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि तिरुमला मंदिर में तैयार होने वाले प्रसिद्ध लड्डुओं में इस्तेमाल होने वाला घी उच्च गुणवत्ता का नहीं है और इसमें मिलावट की जा रही है। जाँच में ये बात सही निकली, जिसमें पशुओं की चर्बी की पुष्टि हुई।

वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि टीटीडी में प्रसादम बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी सामग्रियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सख्त प्रक्रियाएँ लागू की जाती हैं। रेड्डी ने बताया कि घी की खरीदारी ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के माध्यम से की जाती है और इसे एनएबीएल-प्रमाणित लैब टेस्ट के तहत कड़े गुणवत्ता मानकों पर परखा जाता है।

रेड्डी ने यह भी कहा कि टीटीडी की गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली इतनी सख्त है कि कुछ महीने पहले घी के एक टैंकर को मानकों पर खरा न उतरने के कारण अस्वीकार कर दिया गया था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि टीटीडी की ये सख्त प्रक्रियाएँ चंद्रबाबू नायडू के टीडीपी शासन के दौरान भी लागू थीं।

चंद्रबाबू नायडू पर राजनीतिक एजेंडे का आरोप

वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने इस पूरे विवाद को चंद्रबाबू नायडू की राजनीतिक चाल बताया। रेड्डी का कहना है कि नायडू ने ये आरोप अपनी सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने और अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए लगाए हैं। उन्होंने कहा कि नायडू के ये आरोप उनकी हताशा को दर्शाते हैं और यह उनका सिर्फ एक राजनीतिक प्रयास है।

रेड्डी ने आरोप लगाया कि नायडू जानबूझकर टीटीडी जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक संस्थान को विवाद में घसीट रहे हैं ताकि जनता का ध्यान राज्य की मौजूदा समस्याओं से हट सके। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की राजनीति न केवल राज्य के विकास में बाधा डालती है, बल्कि धार्मिक संस्थानों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती है।

प्रधानमंत्री से सख्त कार्रवाई की माँग

जगन मोहन रेड्डी ने अपनी चिट्ठी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वे इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें। उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू के निराधार दावों से टीटीडी की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान हो सकता है और करोड़ों हिंदू भक्तों की आस्था पर चोट पहुँच सकती है। रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री को नायडू के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि इस तरह के भ्रामक बयानों का अंत हो और सच्चाई सामने आ सके।

रेड्डी का मानना है कि नायडू की इस हरकत से सिर्फ टीटीडी ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य की धार्मिक भावना को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि नायडू को उनके बयान के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए और भविष्य में इस तरह की हरकतों से बचना चाहिए।

टीटीडी की पवित्रता और भक्तों का विश्वास

टीटीडी, जो कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रबंधन का कार्य देखता है, भारत के सबसे प्रतिष्ठित और समृद्ध धार्मिक संस्थानों में से एक है। यहाँ हर साल करोड़ों भक्त दर्शन करने आते हैं और तिरुपति लड्डू मंदिर का प्रसादम होता है, जिसे भक्त बड़े आदर और श्रद्धा के साथ ग्रहण करते हैं।

वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने अपनी चिट्ठी में इस बात पर जोर दिया कि टीटीडी की पवित्रता को बनाए रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि टीटीडी के खिलाफ ऐसे निराधार आरोपों से भक्तों का विश्वास डगमगा सकता है, इसलिए इन आरोपों का खंडन करना और सच्चाई को सामने लाना आवश्यक है।

इस विवाद ने आंध्र प्रदेश की राजनीति और धार्मिक भावनाओं को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। जहाँ एक ओर वाईएस जगन मोहन रेड्डी चंद्रबाबू नायडू पर टीटीडी की पवित्रता पर सवाल उठाने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं नायडू घी की गुणवत्ता पर अपने सवालों को लेकर डटे हुए हैं। अब यह देखना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं और टीटीडी की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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