राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच बयानबाजी भी तेज होती जा रही हैं। हाल ही में सुब्रह्मण्यम स्वामी के बयान के बाद आज शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा बयान दिया है।
पार्टी बैठक में उद्धव ठाकरे ने कहा है कि कोर्ट का निर्णय कुछ भी आए लेकिन जिस तरह से कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला केंद्र सरकार ने किया, उसे उसी हिम्मत से राम मंदिर का निर्माण भी शुरू करवाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि न्यायालय में रोज सुनवाई जारी है और फैसला कभी भी आ सकता है, इसलिए शिवसैनिक राम मंदिर की पहली ईंट रखने को तैयार रहें।
Shiv Sena Chief Uddhav Thackeray in Mumbai: Our Shivsainik’s have been asked to prepare to lay the first brick for Ram Temple, our hopes have increased with all that the government is doing, it’s not right to keep waiting anymore. pic.twitter.com/yeTi4yo1Wm
— ANI (@ANI) September 16, 2019
उद्धव ठाकरे ने कहा- “राम मंदिर हमारी श्रद्धा और अस्मिता का सवाल है। हम इस सवाल का जवाब नहीं देंगे। इस सवाल को लंबे समय तक सुर्खियों में नहीं रखा जाना चाहिए। यह सवाल 1979 से लंबित है। आपको कब तक इंतजार करना होगा अब राम मंदिर के लिए इंतजार करने का समय नहीं है। न्याय के देवता को जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए। यदि निर्णय में देरी होती है, तो केंद्र सरकार को एक विशेष कानून बनाना चाहिए। उद्धव ने यह भी माँग की कि राम मंदिर के लिए साहसिक कदम उठाए जाएँ।
कल ही भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने 80वें जन्मदिन पर राम नगरी प्रवास के दूसरे दिन यानी रविवार सुबह की शुरुआत रामलला के दर्शन से किए और राम मंदिर निर्माण को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि नवंबर के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हिंदुओं का मूलभूत अधिकार समुदाय विशेष की संपत्ति के अधिकार से ऊपर है।
स्वामी ने अपना जन्मदिन अयोध्या में ही मनाया। इस अवसर पर उन्होंने कहा– “सुप्रीम कोर्ट भी कहता है मूलभूत अधिकार सर्वोपरि है। जब मूलभूत अधिकार और संपत्ति के अधिकार का प्रश्न होता है। राम मंदिर की अधिकांश जमीन सरकार के पास है। सरकार जमीन किसी को भी दे सकती है। सबकुछ प्री फैब्रिकेटेड है, केवल भव्यता देनी है। नवंबर बाद देश खुशियाँ मनाएगा।”
वहीं दूसरी ओर अयोध्या जमीन विवाद मामले में एक बार फिर नया मोड़ आता दिख रहा है। दरअसल, इस पूरे मामले में एक फिर से मध्यस्थता की माँग की गई है। यह माँग सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने की है। बोर्ड ने इसे लेकर मध्यस्थता पैनल के तीन जजों को चिट्ठी भी लिखी है। इस माँग को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है।