कॉन्ग्रेस की तरफ से कैबिनेट बैठक के बहिष्कार की धमकी के बाद महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने बुधवार (सितंबर 30, 2020) को नए कृषि कानून लागू करने का अगस्त महीने में दिया अपना आदेश वापस ले लिया है।
राज्य सरकार में सहयोगी कॉन्ग्रेस और राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी) की तरफ से महाराष्ट्र में कृषि कानूनों का विरोध कर इसे ‘किसान विरोधी’ कहने के बाद उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार कृषि सुधार कानूनों को लागू करने को लेकर असमंजस में थी।
दरअसल, उद्धव सरकार अगस्त में ही कृषि विधेयकों को लागू करने का आदेश जारी कर चुकी थी। हालाँकि खबरों की मानें तो कॉन्ग्रेस के दवाब में आकर अब उद्धव ठाकरे ने उसी पुराने फैसले को वापस ले लिया है। हाल ही में संसद के दोनों सदनों में इस कानून को भारी विरोध के बीच पास कराया गया और राष्ट्रपति से भी इन्हें मंजूरी मिल गई है। इन विधेयकों को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इसके पारित होने से पहले इसे लागू करने का फैसला कर लिया था।
पिछले हफ्ते, महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने ऐलान किया था कि राज्य सरकार कृषि सुधार कानूनों को राज्य में लागू नहीं करेगी। राज्य के राजस्व मंत्री और महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस के प्रमुख बालासाहेब थोराट ने कहा था कि सभी सत्तारूढ़ विपक्षी दल इन नए कानूनों के खिलाफ हैं। राज्य में उन्हें लागू नहीं करने का निर्णय सामूहिक रूप से विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा।
10 अगस्त को जारी अधिसूचना में सभी कृषि उपज एवं पशुधन बाजार समितियों (APMC) और जिला कृषि सहकारी समितियों को राज्य में प्रस्तावित कानूनों पर तीन अध्यादेशों को ‘सख्ती से लागू करने’ का आदेश दिया गया था। ये विधेयक- कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 थे।
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पार्टी शासित प्रदेशों की सरकारों से सोमवार को कहा कि वे केंद्र सरकार के ‘कृषि विरोधी कानूनों’ को निष्प्रभावी करने के लिए अपने यहाँ कानून पारित करने की संभावना पर विचार करें। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, सोनिया ने कॉन्ग्रेस शासित प्रदेशों को सलाह दी थी कि वे संविधान के अनुच्छेद 254 (ए) के तहत कानून की सभी संभावनाओं का निरीक्षण करें और कृषि विरोधी कानूनों को नकारें और किसानों के साथ हो रहे अन्याय को रोकें।
वेणुगोपाल ने कहा कि यह अनुच्छेद इन ‘कृषि विरोधी एवं राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल देने वाले केंद्रीय कानूनों’ को निष्प्रभावी करने के लिए राज्य विधानसभाओं को कानून पारित करने का अधिकार देता है।
वेणुगोपाल ने दावा किया, ”राज्य के इस कदम से कृषि संबंधी तीन कानूनों के अस्वीकार्य एवं किसान विरोधी प्रावधानों को दरकिनार किया जा सकेगा। इन प्रावधानों में न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने और कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) को बाधित करने का प्रावधान शामिल है।”