केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘संसद टीवी’ को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि वो अपने-आप को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें संगठन और सरकार, दोनों में नरेंद्र मोदी के साथ करीब से काम करने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या के लिए बैठक हो, उसमें पीएम मोदी कम से कम बोलते हैं और सभी को धैर्यपूर्वक सुनते हैं। वो छोटे से छोटे व्यक्ति के सुझाव को गुणवत्ता के आधार पर महत्व देते हैं।
उन्होंने कहा कि जिन-जिन लोगों ने उनके साथ काम किया है, वो जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक तरीके से कैबिनेट चलाते हैं। उन्होंने पीएम मोदी को एक अच्छा श्रोता करार दिया, जो सबकी बात सुनते हैं। उन्होंने कहा कि अंदर जो चर्चाएँ होती हैं, उसके बारे में अब चीजें बाहर नहीं आतीं, इसीलिए मीडिया और विपक्ष ये फैलाता है कि नरेंद्र मोदी अकेले ही सारे निर्णय लेते हैं। उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय जरूर वो लेते हैं, क्योंकि जनता ने उन्हें इसके लिए ही चुना है।
उन्होंने माना कि पीएम मोदी जोखिम लेकर फैसला लेते हैं, लेकिन वो बार-बार कहते हैं कि वो देश बदलने और परिवर्तन लाने के लिए सरकार में आए हैं, सिर्फ सरकार चलाने के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि अगर वर्षों पहले कड़े फैसले हुए होते तो आज यहाँ के युवाओं को दूसरे देशों में नहीं जाना पड़ता। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सिर्फ सत्ता में लौटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य नहीं है, वो दृढ़ इच्छाशक्ति से निर्णय लेते हैं।
उदाहरण के लिए उन्होंने नोटबंदी का फैसला गिनाया, जिससे देश के अर्थतंत्र में बड़ा बदलाव आया। इसी तरह, उन्होंने GST को लेकर कहा कि प्रणब मुखर्जी और पी चिदंबरम इसके बारे में बातें तो करते थे, लेकिन लागू करने की उन्हें हिम्मत नहीं होती थी। इसी तरह उन्होंने ‘तीन तलाक’ और सेना के लिए OROP का फैसला गिनाया। साथ ही उन्होंने ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘एयर स्ट्राइक’ के अलावा ‘अनुच्छेद-370’ के प्रावधानों को निरस्त किए जाने जैसे निर्णयों का जिक्र किया।
अमित शाह ने याद दिलाया कि कैसे ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित किया, जिससे भारत की संस्कृति वैश्विक मंच तक पहुँची। उन्होंने कहा कि इन फैसलों में कोई निजी या दलगत स्वार्थ नहीं है, इसीलिए विश्वास रहता है कि जनता हमारा साथ देगी। अध्यात्म को लेकर पीएम मोदी की रुचि पर अमित शाह ने कहा कि जन-कल्याण भी इसके अंतर्गत आता है। उन्होंने 9 करोड़ घरों में गैस और 11 करोड़ शौचालय के निर्माण का उदाहरण दिया।
उन्होंने बताया कि अब हर घर स्वच्छ जल पहुँचाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने उन 18,000 गाँवों का जिक्र किया, जहाँ आज तक बिजली नहीं पहुँची थी पर अब वहाँ बिजली है। उन्होंने किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपए सम्मान निधि दिए जाने की योजना का जिक्र किया। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे 60 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सुविधा दी जा रही है और किसी को यकीन नहीं होगा कि 130 करोड़ लोगों का देश अपने सभी नागरिकों को मुफ़्त वैक्सीन दे रहा है।
उन्होंने कोरोना महामारी काल में 80 करोड़ लोगों को डेढ़ वर्ष तक मुफ़्त राशन दिए जाने की योजना को भी अपनी सरकार की सफलता के रूप में गिनाया। बता दें कि 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान अमित शाह को उत्तर प्रदेश का चुनावी प्रभार दिया गया था। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी लोगों को जिम्मेदारी देने के जो फैसले लेते हैं, वो अच्छे होते हैं और सफल भी। पत्रकार ने जब पूछा कि अपने फैसलों में वामपंथ और दक्षिणपंथ का तालमेल कैसे बिठाते हैं, तो इस पर अमित शाह ने दो टूक कहा कि वामपंथ का जरा भी रास्ता नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वामपंथ के रास्ते से काभी भी गरीब का उत्थान नहीं हो सकता। उन्होंने पश्चिम बंगाल की स्थिति गुनाई, जहाँ कई दशकों तक वामपंथ का शासन रहा। समाजवादी आंदोलन के बारे में उन्होंने कहा कि ये जातिवाद के बाद अब परिवरवाद में परिवर्तित हो गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा का मूल प्रेरणास्रोत ‘अंत्योदय’ है। उन्होंने कहा कि जनता ने कॉन्ग्रेस, वामपंथ और समाजवाद – सबको मौका दिया, लेकिन जहाँ-जहाँ भाजपा की सरकार आई, वहाँ अच्छा हुआ।
उन्होंने चाणक्य के सूत्र की बात करते हुए कहा कि जो ज्येष्ठ होता है वो श्रेष्ठ नहीं होता, बल्कि जो श्रेष्ठ होता है वही ज्येष्ठ होता है। गाँधी परिवार पर निशान साधते हुए कहा कि वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि उनके परिवार के अलावा कोई अन्य कैसे प्रधानमंत्री बन सकता है। उन्होंने उत्तर पूर्व में आतंकवाद को खत्म करने के लिए हुए समझौतों और नक्सलवाद के खिलाफ बनी रणनीति का जिक्र किया और कहा कि ये सरकार समाज कल्याण की दिशा में चल रही है और कृषि को प्राथमिकता दे रही है।
उन्होंने कहा कि ये तीन कृषि कानून इसी का हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक करियर को उन्होंने तीन हिस्सों में बाँटा – संगठन का काम, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में और फिर राष्ट्रीय राजनीति में। उन्होंने कहा कि गुजरात में काम काफी चुनौतीपूर्ण था, कई चुनावों में भाजपा की हार हुई थी, लेकिन बिना किसी प्रशासनिक अनुभव के नरेंद्र मोदी ने जिस तरह जनता तक योजनाओं को पहुँचाया।