कोरोना महामारी की वजह से पूरे देश में तालाबंदी (लॉकडाउन) की गई थी। नतीजा यह निकला कि जो जहाँ था वहीं फँस गया। शुरुआत में इसे कुछ हफ़्तों के लिए ही लगाया गया था, लेकिन महामारी का दायरा बढ़ने की वजह से इसकी अवधि बढ़ानी पड़ी थी। इससे सबसे अधिक प्रभावित हुए प्रवासी और दिहाड़ी श्रमिक।
प्रतिदिन मेहनत करके जीवन-यापन करने वालों का दर्द समझते हुए केंद्र सरकार ने गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत 125 दिन के रोजगार कार्यक्रम का ऐलान किया। इसकी शुरुआत 20 जून 2020 से हुई थी। फ़िलहाल सरकार इस योजना को आधार बना कर प्रवासी श्रमिकों को 125 दिन से अधिक का रोजगार प्रदान करने की तैयारी कर रही है और साथ ही इस योजना को सभी राज्यों में बढ़ाने की संभावना तलाश रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार का सबसे उम्दा प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ के अंतर्गत उल्लेखनीय रूप से बेहतर प्रदर्शन किया है। इस योजना का क्रियान्वन 21 जून से शुरू कर दिया गया था और अब तक उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस योजना पर 9,329.57 करोड़ रुपए खर्च किए हैं और इसके जरिए 10,58,17,358 पर्सन डेज़ (person-days) का सृजन किया है।
सितंबर 2020 में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय के तहत शुरू किए गए कार्यक्रमों में कुल 8 पुरस्कार जीते थे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश ने ‘गंदगी मुक्त भारत योजना’ को लागू करने में दूसरा पायदान हासिल किया था और प्रवासी कामगारों को रोजगार देने के मामले में पहला स्थान हासिल किया था।
क्या है गरीब कल्याण रोजगार अभियान?
31 मई 2020 को देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रवासी श्रमिकों के लिए इस योजना का ऐलान किया था जिसके तहत उन्हें रोजगार दिया जाना था। यह योजना उन 6 प्रदेशों के लिए शुरू की गई थी, जहाँ प्रवासी मजदूरों की संख्या अनुमान से अधिक थी। इसमें बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान शामिल थे। इन 6 प्रदेशों के लगभग 116 जिलों में इस योजना के तहत उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई थी। केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए कुल 50 हज़ार करोड़ रुपए जारी किए थे।
12 मंत्रालय, 25 कार्य और गतिविधियाँ
इस योजना के तहत कुल 12 मंत्रालय रोजगार प्रदान कर रहे हैं और इस योजना को बढ़ावा दे रहे हैं। ये हैं- ग्रामीण विकास विभाग, पेयजल और स्वच्छता विभाग, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, दूरसंचार मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, रेल मंत्रालय, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, पर्यावरण मंत्रालय, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग, पेट्रोलियम मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय हैं।
इस योजना के तहत कुल 25 श्रेणियों में रोजगार प्रदान किए जाएँगे, जिसमें सामुदायिक केंद्र, ग्राम पंचायत भवन, वित्त आयोग फंड के काम, राष्ट्रीय राजमार्ग के काम, जल संरक्षण के काम, कुओं का निर्माण, पौधारोपण, बागवानी, आँगनबाड़ी केंद्र, ग्रामीण आवास, ग्रामीण कनेक्टिविटी, रेलवे संबंधी कार्य, भारत नेट के अंतर्गत ऑप्टिकल फाइबर बिछाना, जल जीवन मिशन के तहत काम, तालाब, मवेशियों, बकरियों और मुर्गियों के लिए शेड निर्माण शामिल है।
इस योजना के तहत सरकार सिर्फ रोजगार ही नहीं प्रदान कर रही है, बल्कि कामगारों को उनकी पसंद के आधार पर प्रशिक्षित भी कर रही है। इसके अलावा सरकार का प्रयास है कि लोगों को अपने स्थानीय शहरों या उसके आसपास रोजगार के अवसर मिले जिससे उन्हें काम करने के लिए किसी अन्य जगह नहीं जाना पड़े। अब तक सरकार इस योजना पर 39,292.81 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है और 6 राज्यों में 50,78,68,671 पर्सन-आवर्स (person hours) का सृजन किया है।