हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए सभी रिक्त आरक्षित पदों को सामान्य वर्ग से भरने का निर्णय लिया है। हरियाणा सरकार आजकल भर्तियों के मूड में है और सरकार रिक्त पदों को भरने पर जोर दे रही है। बता दें कि हाईकोर्ट ने जाट व अन्य पिछड़ी जातियों को दिए गए आरक्षण पर फिलहाल रोक लगा रखी है। हरियाणा में बम्पर भर्तियों की तैयारी में लगी राज्य सरकार ने विभागों से रिक्त पदों का ब्यौरा भी माँगा है। अतः सरकार ने निर्णय लिया है कि अब जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी और मुस्लिम जाटों के लिए आरक्षित पदों को सामान्य जातियों के उम्मीदवारों से भरेगी।
Haryana Government has decided that all Departments/Boards/Corporations shall send requisitions for filling up the posts of Backward Classes Block ‘C’ category by treating these posts to be under General category/Un-reserved category until further orders https://t.co/R7amEz8JOZ
— ANI (@ANI) June 5, 2019
विशेष पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रिक्त सीटों पर भी सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की भर्तियाँ की जाएँगी। सरकार ने निर्णय लिया है कि EBPG (सामान्य जातियों में आर्थिक आधार पर पिछड़े लोग) कैटेगरी में शामिल ब्राह्मण, बनिया, राजपूत व पंजाबी के लिए आरक्षित पदों को दूसरी जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों से भरा जाएगा। बहुत सारे पद ऐसे थे, जो कानूनी अड़चनों के कारण कई दिनों से रिक्त थे। हरियाणा में आरक्षण को लेकर तरह-तरह के मामले अदालतों में लंबित हैं। रिक्त पदों में कई सारे विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्ड-निगमों व सरकारी कंपनियों, विश्वविद्यालयों और हाई कोर्ट में हैं।
ये सारे आरक्षित श्रेणी के रिक्त पद हैं। इनकी संख्या हजारों में हैं जो अदालती फैसलों की बाट जोहते खाली पड़े हुए थे। इन पदों को भरने के लिए सम्बद्ध विभागों व अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया गया है। राज्य सरकार ने सभी विभागों, बोर्ड और निगमों से ‘सी’ श्रेणी के तहत पिछड़ा वर्ग के लिए चिह्नित रिक्त पदों की जानकारी माँगी है। आदेश में कहा गया है कि इन सभी रिक्त पदों को सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के जरिए भरा जाएगा।
कॉन्ग्रेस सरकार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी और मुल्ला जाट-मुस्लिम जाटों के लिए ग्रुप ए और बी में 6% और ग्रुप सी व डी की नौकरियों में 10% आरक्षण की व्यवस्था की थी। बाद में हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।