ओडिशा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के उत्तराधिकारी कहे जाने वाले वीके पांडियन चुनावों में बीजू जनता दल (BJD) की करारी हार के बाद लापता हैं। इस हार के लिए पूर्व IAS अधिकारी पांडियन को दोषी ठहराया जा रहा है। चुनाव नतीजे आने के बाद से पांडियन सार्वजनिक रूप से कहीं नहीं दिखे। पांडियन को पहले नवीन पटनायक के हमेशा साथ देखा जाता था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वीके पांडियन को ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बीजेडी की हार का मुख्य कारण माना जा रहा है। नतीजों की घोषणा के बाद से पांडियन की अनुपस्थिति ने राजनीतिक पर्यवेक्षकों और आम जनता के बीच नए सवालों को जन्म दे दिया है। नवीन पटनायक के दौरे पर हमेशा साथ रहने वाले पांडियन अब उनके साथ नहीं दिख रहे हैं।
ओडिशा विधानसभा का चुनाव हारने के बाद अपना त्यागपत्र देने के लिए जब नवीन पटनायक राजभवन गए, उस समय भी पांडियन कहीं नहीं दिखे। बीजेडी सुप्रीमो पटनायक ने बुधवार (5 जून) को अपने निवास पर पार्टी सदस्यों और नवनिर्वाचित 51 विधायकों के साथ दो बैठक की। इन बैठकों में भी पांडियन शामिल नहीं हुए।
नाम नहीं बताने की शर्त पर एक विधायक ने TOI को बताया, “पांडियन बाबू बैठक में मौजूद नहीं थे। नवीन बाबू ने हमसे चर्चा की और हमें राज्य के लोगों के लिए काम करते रहने के लिए कहा।” पार्टी नेताओं ने बीजद की हार के लिए जिम्मेदार कई महत्वपूर्ण कारकों की ओर इशारा किया है। इनमें पांडियन का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है।
बता दें कि दो दशक से भी अधिक समय तक ओडिशा में नवीन पटनायक का बोलबाला रहा। 5 जून को उन्होंने राज्यपाल रघुबर दास को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस तरह से मुख्यमंत्री के रूप में उनके 24 साल के कार्यकाल का अंत हो गया। इसके साथ ही पार्टी के भीतर बीजेडी की चुनावी हार के पीछे के कारणों को जानने के लिए आत्ममंथन शुरू हो गया।
पार्टी के एक सूत्र का कहना है कि उम्मीदवार चयन में भारी चूक, निर्णय लेने की प्रक्रिया में पार्टी के दिग्गजों को शामिल नहीं करना और वीके पांडियन पर अत्यधिक निर्भरता ही पार्टी की हार की मुख्य वजह बनी। वहीं, बीजेडी के पूर्व विधायक सौम्य रंजन पटनायक ने कहा कि हार ठीकरा पांडियन पर फोड़ने से नवीन पटनायक को बचना चाहिए और उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
‘हिंदुस्तान’ की खबर के अनुसार, ओडिशा में बीजेडी की करारी हार के लिए वीके पांडियन की भूमिका के सवाल पर पूर्व विधायक सौम्य रंजन पटनायक ने कहा, वीके पांडियन कौन हैं और हेलीकॉप्टर से वे राज्य के विभिन्न हिस्सों का दौरान कैसे कर रहे थे? उन्हें पूरी शक्ति किसने दी? वह मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ही थे, जिन्होंने उन्हेें ऐसा करने की अनुमति दी थी।”
बता दें कि ओडिशा में लोकसभा के साथ विधानसभा के भी चुनाव हुए हैं। इसमें बीजेडी लोकसभा की एक भी सीट हासिल करने में नाकाम रही है। वहीं, 147 विधानसभा सीटों में पार्टी को केवल 51 सीटों पर जीत मिली है। वहाँ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर पूर्ण बहुमत हासिल की है। इस तरह नवीन पटनायक के 24 साल के मुख्यमंत्री के रूप में राजनीति का पटाक्षेप हो गया है।