ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी एवं पूर्व IAS अधिकारी वीके पांडियन ने रविवार (9 जून 2024) को सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद) को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मिली शर्मनाक हार का जिम्मेदार पांडियन को ठहराया जा रहा था। हार के बाद से वे लापता हो गए थे और सार्वजनिक तौर पर नहीं दिख रहे थे।
कुछ दिन हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बीजद को करारी हार का सामना करना पड़ा और 24 सालों से राज्य के मुख्यमंत्री पद पर काबिज नवीन पटनायक को पद छोड़ना पड़ा है। ओडिशा विधानसभा में 147 सीटें हैं, जिनमें बीजद को सिर्फ 51 सीटों पर जीत मिली। वहीं, लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली।
एक वीडियो संदेश में पांडियन ने कहा, “राजनीति में शामिल होने का मेरा इरादा केवल नवीन बाबू की सहायता करना था और अब जानबूझकर मैंने सक्रिय राजनीति से खुद को अलग करने का फैसला किया है।” हार के लिए उन्होंने बीजद नेताओं और कार्यकर्ताओं हाथ जोड़कर माफ़ी माँगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने कोई संपत्ति अर्जित नहीं की है और सिविल सेवा की शुरुआत से लेकर आज तक उनकी संपत्ति एक समान है।
Big: ओडिशा के पूर्व CM नवीन पटनायक के अत्यंत करीबी और उनके उत्तराधिकारी माने जाने वाले VK पांडियन ने राजनीति से सन्यास लिया!!
— Shivam Pratap Singh (@journalistspsc) June 9, 2024
इन चुनावों में BJD को बुरी शिकस्त मिली है, BJP ने लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में भारी बहुमत हासिल किया.#Odisha #VKPandian pic.twitter.com/ipGZg3K0QU
पांडियन का मूल रूप से तमिल होना विधानसभा चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बना था और इसे भाजपा ने खूब हवा दी थी। पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि भाजपा का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो ओडिशा में पैदा हुआ हो और ओडिया बोलता हो। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया था कि अगर बीजद फिर से जीतती है तो पांडियन ओडिशा के मुख्यमंत्री बनेंगे और इसका कारण नवीन पटनायक का स्वास्थ्य है।
इससे पहले शनिवार (8 जून 2024) को बीजद सुप्रीमो और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद पांडियन का बचाव किया और अपने सहयोगी की आलोचना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया। पटनायक ने कहा कि पांडियन ने बिना किसी पद पर रहते हुए भी शानदार काम।
पूर्व सीएम पटनायक ने राज्य में चक्रवात और कोविड-19 महामारी जैसे संकटों के दौरान पांडियन द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में बात की। नवीन पटनायक ने कहा, “पांडियन की कुछ आलोचना हुई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। वह पार्टी में शामिल हुए और उन्होंने कोई पद नहीं संभाला। उन्होंने किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ा।”
उनके उत्तराधिकारी के रूप में वीके पांडियन के चल रहे नामों को लेकर नवीन पटनायक ने कहा, “जब भी मुझसे मेरे उत्तराधिकारी के बारे में पूछा जाता है तो मैं हमेशा स्पष्ट रूप से कहता हूँ कि यह पांडियन नहीं हैं। मैं दोहराता हूँ कि ओडिशा के लोग मेरे उत्तराधिकारी का फैसला करेंगे।”
चुनाव का परिणाम आने के बाद TOI ने एक सूत्र के हवाले से कहा था कि उम्मीदवार चयन में भारी चूक, निर्णय लेने की प्रक्रिया में पार्टी के दिग्गजों को शामिल नहीं करना और वीके पांडियन पर अत्यधिक निर्भरता ही पार्टी की हार की मुख्य वजह बनी। वहीं, बीजेडी के पूर्व विधायक सौम्य रंजन पटनायक ने कहा था कि हार ठीकरा पांडियन पर फोड़ने से नवीन पटनायक को बचना चाहिए और उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
‘हिंदुस्तान’ की खबर के अनुसार, ओडिशा में बीजेडी की करारी हार के लिए वीके पांडियन की भूमिका के सवाल पर पूर्व विधायक सौम्य रंजन पटनायक ने कहा था, “वीके पांडियन कौन हैं और हेलीकॉप्टर से वे राज्य के विभिन्न हिस्सों का दौरान कैसे कर रहे थे? उन्हें पूरी शक्ति किसने दी? वह मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ही थे, जिन्होंने उन्हेें ऐसा करने की अनुमति दी थी।”