यहाँ तक कि भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी और अन्य उद्योगपति कॉन्ग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा की उम्मीदवारी का समर्थन करते हैं। फिर भी पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी अपने झूठ को रोक नहीं प् रहे हैं कि नरेंद्र मोदी ने भारत में अमीर उद्योगपतियों के कई लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया है।
कई मौकों पर, राहुल गाँधी ने कहा है कि 15 सबसे अमीर उद्योगपतियों द्वारा 3.5 लाख करोड़ रूपए का ऋण मोदी सरकार द्वारा माफ किया गया है। लेकिन सभी मुद्दों की तरह वह मोदी सरकार पर हमला करने के लिए जिस राशि का उपयोग करते हैं वह लगातार उनके हर भाषण के साथ बदलती रहती है। अर्थात जब उनके जो मन में आता है उसी राशि का वह आरोप लगाने की कोशिश करते हैं। अब मैं यहाँ यह नहीं कहूँगा कि उनकी स्मृति में कुछ लोचा है। बल्कि, चूँकि आँकड़े ही झूठे हैं तो क्या फर्क पड़ता है कुछ भी बोल दो।
नवंबर 2016 में, राहुल गाँधी ने दावा किया कि मोदी सरकार ने तब बड़े उद्योगपतियों के 1.1 लाख करोड़ रुपए के ऋण माफ कर दिए थे। 2017 में गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार के दौरान, राहुल गाँधी ने बेवजह इस आँकड़े को 20,000 करोड़ रुपए और बढ़ाकर 1.3 लाख करोड़ रुपए कर दिया। कर्नाटक में, उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर एक और शानदार आँकड़ा हासिल किया- 2.5 लाख करोड़ रुपए जो कि माफ कर दिए गए थे।
Dear @INCIndia please isko kisi psychiatrist ko dikhao ??? pic.twitter.com/2ZaiffIqRn
— Chowkidar Hoon BC (@delhichatter) April 20, 2019
उसके बाद, राहुल गाँधी के अनुसार उद्योगपतियों के लिए माफ की गई राशि पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, हालाँकि, इस छूट के लाभार्थियों की संख्या देश के 15 सबसे अमीर उद्योगपतियों में से एक ही है।
अब, राहुल गाँधी द्वारा ऐसे तमाम दावा किए जाने के बाद, माफी की विभिन्न मात्राओं को संकलित करते हुए एक वीडियो बनाया गया है। खैर, यह पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। वीडियो में, यह देखा जा सकता है कि मोदी सरकार ने कैसे 5.50 लाख करोड़ / 3.50 लाख करोड़ / 3.00 लाख करोड़ / 2.50 लाख करोड़ / 1.50 लाख करोड़ / 1.40 लाख करोड़ / 1.30 लाख करोड़ / 1.10 लाख करोड़ रुपए का ऋण माफ किया है उद्योगपतियों का।
अभी चुनाव प्रचार चल ही रहा है हो सकता है इस दौरान आपको और भी कई नए आँकड़े सुनने को मिले। आप भी तब तक इन आँकड़ों का मज़ा लीजिए। बाकी कॉन्ग्रेस का न कभी उद्योग से नाता रहा है, न उद्योगपतियों से अगर रहा भी तो अपनी जेबें भरने से, शायद तभी तो विकास कॉन्ग्रेस के लिए कभी मुद्दा ही नहीं रहा।