पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार ने राज्य शासित स्कूलों के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि उन स्कूलों में मध्याह्न भोजन के लिए एक डाइनिंग हॉल का निर्माण किया जाए जिनमें 70% से अधिक अल्पसंख्यक (मुस्लिम) बच्चे पढ़ते हों। इस तरह के निर्देश जारी कर ममता बनर्जी ने एक और मुस्लिम तुष्टिकरण का उदाहरण पेश किया और साथ ही बंगाल की राजनीति में एक और मुद्दा जोड़ दिया।
West Bengal Government seeks names of Government & aided schools having more than 70% minority students, to send a proposal for the construction of dining hall for mid-day meal in schools. pic.twitter.com/2u5i2aHsBE
— ANI (@ANI) June 28, 2019
आदेश को लागू करने के लिए, जारी किए गए सर्कुलर के फॉर्मेट के आधार पर पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक मामलों और मदरसा शिक्षा विभाग (एमएएमईडी) ने सरकारी स्कूलों की तत्काल सूची माँगी है जिनमें 70 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम छात्र हैं। इसमें कहा गया है कि वो ऐसे स्कूलों की सूची 28 जून के भीतर दे दें।
1.2 Why this discrimination between the students on the basis of religion? Is there some other malafide motive behind this segregation?
— Dilip Ghosh (@DilipGhoshBJP) June 27, 2019
Another conspiracy ?
टीएमसी के इस निर्देश जारी करने पर भाजपा नेताओं ने इसका विरोध किया और सवाल उठाया। भाजपा के दिलीप घोष ने तृणमूल सुप्रीमो द्वारा जारी किए गए इस आदेश को धर्म के आधार पर छात्रों के बीच भेदभाव बताते हुए उस पर सवाल उठाया। घोष ने इसे ममता की एक और साजिश करार देते हुए कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि इस भेदभाव और पृथक्करण के पीछे उनकी कोई और दुर्भावनापूर्ण नीयत छिपी हुई है।
लोकसभा चुनाव 2019 के समय से ही पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कॉन्ग्रेस के बीच तल्खी जारी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में महज 2 सीटों पर सिमट जाने वाली भाजपा ने 2019 में 18 सीटों पर कब्जा कर लिया। चुनाव परिणाम के घोषित होने के बाद ममता बनर्जी और भी बौखला गई है।
गुरुवार (जून 27, 2019) को बनर्जी ने राज्य में भाजपा के खिलाफ उनकी लड़ाई में कॉन्ग्रेस और सीपीआई (एम) से समर्थन माँगा। मगर दोनों दलों ने उनकी अपील को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि राज्य में भाजपा की सीटों की बढ़ी हुई संख्या के लिए उनकी नीतियाँ जिम्मेदार हैं।