पश्चिम बंगाल में 2 मई 2021 को विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद राजनीतिक हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान हिंसा की करीब 15 हजार घटनाएँ हुई। इसमें 25 लोगों की मौत हो गई और करीब 7000 महिलाओं के साथ बदसलूकी की गई। यह दावा सिक्किम हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे प्रमोद कोहली की अगुवाई वाली फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट में की गई है।
यह रिपोर्ट मंगलवार (29 जून 2021) को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी को सौंपी गई थी। यह टीम सिविल सोसायटी ग्रुप ‘कॉल फॉर जस्टिस’ ने हिंसा की जाँच के लिए गठित की थी। रिपोर्ट में कहा गया है, “स्पष्ट संकेत है कि ज्यादातर घटनाएँ छिटपुट नहीं, बल्कि पूर्व नियोजित, संगठित और षड्यंत्रकारी थे।”
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राज्य के 16 जिले चुनाव के बाद हुई हिंसा से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा, “रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव के बाद हुई हिंसा के कारण कई लोगों ने पश्चिम बंगाल में अपना घर छोड़ दिया है और असम, झारखंड और ओडिशा में शरण ली है।”
रिपोर्ट के अनुसार, कुछ खतरनाक अपराधी, माफिया डॉन और आपराधिक गिरोह, जो पहले से ही पुलिस रिकॉर्ड में थे, ने कथित तौर पर इन घातक हमलों को अंजाम दिया। जिससे यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को चुप कराने को लिए इन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों को नष्ट करने और तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम देने का एकमात्र उद्देश्य लोगों को उनकी आजीविका से वंचित करना और उन्हें आर्थिक रूप विकलांग करना था।
बंगाल में मंगलवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था, “रिपोर्ट कहती है कि हिंसा एक सुनियोजित साजिश थी और अपराधी राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ शामिल थे। इसमें कहा गया है कि पुरुषों की हत्या की गई और महिलाओं का बलात्कार किया गया। कई राज्यों में चुनाव हुए लेकिन ऐसी हिंसा कहीं नहीं देखी गई। महिलाओं को सबसे अधिक हमलों का सामना करना पड़ा, जबकि राज्य की मुख्यमंत्री एक महिला हैं।”
गौरतलब है कि रिपोर्ट में बंगाल की सीएम को राज्य में हिंसा रोकने में नाकाम बताया गया है। ये भी बताया गया है कि टीम को कई जगहों पर क्रूड बम और पिस्टल की अवैध फैक्ट्री मिली। कमेटी के सदस्यों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट 63 पेज की है। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए टीम पश्चिम बंगाल गई थी, जहाँ से 200 से ज्यादा तस्वीरें, करीब 50 से ज्यादा वीडियो एनालिसिस कर इसे तैयार किया गया। यह टीम ग्राउंड पर भी लोगों से मिली। रिपोर्ट ये भी बताती है कि हिंसा में सिर्फ उन लोगों को निशाना बनाया गया जिन्होंने अपना वोट एक निश्चित पार्टी को नहीं दिया।