पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले में सोमवार (अक्टूबर 4, 2021) को सीबीआई और एसआईटी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में अपनी सीलबंद रिपोर्ट सौंप दी। उन्होंने यह रिपोर्ट कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष सीलबंद लिफाफे में पेश की।
मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ममता सरकार को कड़ी फटकार लगाई। दरअसल ममता सरकार ने अभी तक हिंसा पीड़ितों को मुआवजा नहीं दिया है। इस पर ऐतराज जताते हुए हाई कोर्ट ने इसे उनका लापरवाही वाला रवैया बताया।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “यह एक गंभीर मामले को लेकर राज्य के बेपरवाह रवैया को दर्शाता है।” मामले में अब अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी।
बता दें कि पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य की नीति के अनुसार अपराध के पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश दिया था और निर्देश दिया था कि राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाए।
उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान बलात्कार और हत्या जैसे सभी जघन्य मामलों में एनएचआरसी की समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद अदालत की निगरानी में सीबीआई जाँच का निर्देश दिया था।
विधानसभा चुनावों के बाद कथित हिंसा की स्वतंत्र जाँच के अनुरोध को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने अन्य सभी मामलों में जाँच की। निगरानी के लिए पश्चिम बंगाल कैडर के तीन आईपीएस अधिकारियों की एक एसआईटी के गठन का भी आदेश दिया था।
पीठ में आईपी मुखर्जी, हरीश टंडन, सौमेन सेन और सुब्रत तालुकदार अन्य सदस्य हैं। पीठ ने निर्देश दिया कि दोनों जाँच की निगरानी उच्च न्यायालय द्वारा की जाएगी और सीबीआई तथा एसआईटी को अपनी स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
बाद में पीठ ने एसआईटी के कामकाज का ‘अवलोकन’ करने के लिए केरल उच्च न्यायालय, कलकत्ता उच्च न्यायालय और बम्बई उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मंजुला चेल्लूर को नियुक्त किया था। अदालत ने निर्देश दिया था कि मामले को आगे की सुनवाई के लिए चार अक्टूबर को एक खंडपीठ के समक्ष रखा जाएगा।
राज्य में 2 मई को चुनाव परिणाम तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के पक्ष में आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं व समर्थकों के खिलाफ जम कर हिंसा हुई थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि अपराध के ऐसे अन्य मामलों की जाँच के लिए एक विशेष टीम करेगी, जिसकी कार्यवाही की निगरानी खुद उच्च-न्यायालय करेगा।