पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के तारकेश्वर में चुनावी नतीजों के बाद हुई हिंसा मामले पर राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा है। ये पत्र राजीव जैन को संबोधित है। इसमें उन्होंने बताया है कि उनके विाधानसभा क्षेत्र में सत्ताधारी पार्टी टीएमसी ने लगातार लोगों पर अत्याचार किए। पत्र में उन्होंने जोर दिया कि लोगों के साथ ये सब इसलिए हुआ क्योंकि उनका झुकाव भाजपा की ओर है।
पत्र में उन्होंने कहा, “भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के घरों की व्यवस्थित रूप से पहचान की गई, वहाँ लूटपाट की गई और उनको ध्वस्त कर दिया गया। कई श्रमिकों पर बेरहमी से हमला किया गया, जबकि अन्य को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। सैकड़ों लोग बेघर हो गए और कई अपनी जान बचाने के लिए तारकेश्वर से भाग गए। इनमें से कुछ लोग अभी भी घर नहीं लौट पा रहे हैं।”
उन्होंने बताया कि कैसे राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं के बिजनेस को जबरन बंद करवा दिया गया था और सत्ताधारी सरकार ने उन्हें अपनी आजीविका कमाने की अनुमति देने के लिए ‘प्रोटेक्शन मनी’ की माँग की थी। पत्र में राज्यसभा सांसद ने कुल 9 मामलों पर प्रकाश डाला है, जहाँ तृणमूल कॉन्ग्रेस के गुंडों ने हिंसा और बर्बरता की।
उन्होंने बताया कि टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा दो (अज्ञात) भाजपा कार्यकर्ताओं को उनके घरों में घुसने से रोकने के लिए धमकी दी गई। वहीं पेशे से डॉक्टर एक भाजपा कार्यकर्ता के चैंबर पर कब्जा कर लिया गया और उसे टीएमसी क्लब में बदल दिया। एक मुस्लिम व्यक्ति को भी ईद के दौरान नमाज पढ़ने से रोक दिया गया, क्योंकि वह भाजपा समर्थक था। स्वप्न दासगुप्ता बताते हैं कि, क्षेत्र में एक महासचिव के घर में तोड़फोड़ हुई और एक भाजपा कार्यकर्ता, जो पेशे से कार डीलर है, उसकी सभी कारों को टीएमसी के गुंडों ने तोड़ दिया और सबकुछ क्षतिग्रस्त कर दिया।
राज्यसभा सांसद ने लिखा, “इस संबंध में तारकेश्वर थाने में पूर्व में दर्ज एक शिकायत संलग्न कर रहा हूँ, जिस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। शिकायत में चुनाव के बाद की हिंसा के 260 से अधिक पीड़ितों की सूची है। यह न तो पूर्ण है और न ही संपूर्ण है, लेकिन आपको कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त प्रारंभिक बिंदु प्रदान करेगी।”
उन्होंने आगे अनुरोध करते हुए लिखा, “जितना जल्दी हो सके, मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि एक कमेटी का दौरा किया जाए ताकि पीड़ितों के लिए राहत का आँकलन हो और उसके लिए मंजूरी मिले। इस दौरान, समिति प्रथम दृष्टया में अपराध के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों और उन अधिकारियों की पहचान करे जिन्होंने इस मुद्दे पर चुप्पी बनाए रखी। इसके अलावा, जो लोग हिंसा के डर से भाग गए थे, उन्हें अपने घरों और व्यवसाय के स्थानों पर लौटने के सक्षम किया जाए।”
बंगाल में राजनीतिक हिंसा
गौरतलब है कि बंगाल में चुनावी जीत के बाद टीएमसी द्वारा की जा रही हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। नतीजों के बाद सिर्फ भाजपा के 2 दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं। बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के समूह (जीआईए) द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट में इस मामले पर प्रकाश देते हुए यह उल्लेख किया गया था कि चुनाव जीतने के बाद टीएमसी के क्रोध का उन लोगों को सामना करना पड़ रहा है जो हिंदू थे और भाजपा को वोट दिया था।
रिपोर्टों के अनुसार, महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया, घरों में तोड़फोड़ की गई, दुकानों को लूटा गया और इन सबसे डरकर कई हिंदू परिवार खुद को बचाने के लिए पड़ोसी राज्यों में चले गए। कई महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी गवाही में, भाजपा को समर्थन देने के कारण क्रूर बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और यौन उत्पीड़न के साथ-साथ उन पर किए गए अन्य अत्याचारों का खुलासा भी किया है।