प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के लिए 20 लाख करोड़ रूपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया आई है।
ममता बनर्जी का कहना है कि केंद्र द्वारा घोषित किए गए इस पैकेज में राज्यों के लिए कुछ नहीं है और यह एक ‘बड़ा ज़ीरो’ है। इसके साथ ही ममता ने UP-MP की तर्ज पर अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए अपनाई गई नीतियों को लागू करने से भी स्पष्ट मना किया है।
West Bengal will never tweak labour laws like BJP-ruled states did: CM Mamata Banerjee
— Press Trust of India (@PTI_News) May 13, 2020
Centre’s special economic package a “big zero”; it has nothing for states: WB CM Mamata Banerjee
— Press Trust of India (@PTI_News) May 13, 2020
ममता बनर्जी कोरोना वायरस की महामारी के दौरान लगातार केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध करती नजर आ रही हैं। यही वजह है कि कई बार केन्द्रीय गृह मंत्रालय बंगाल राज्य को इस बारे में चेतवानी जारी करनी पड़ी हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में कोरोना वायरस महामारी के कारण जारी देशव्यापी लॉकडाउन के बीच उतर प्रदेश (UP) और मध्य प्रदेश (MP) की राज्य सरकारों ने अर्थव्यवस्था में आई शिथिलता को दूर करने के लिए श्रम कानून (Labour Law) में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने कॉटेज इंडस्ट्री यानी कुटीर उद्योग और छोटे कारोबारों को रोजगार, रजिस्ट्रेशन और जाँच से जुड़े विभिन्न जटिल लेबर नियमों से छुटकारा देने की पहल की है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश सरकार ने कंपनियों और ऑफिस में काम के घंटे बढ़ाने की छूट जैसे अहम फैसले भी लिए हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मौजूद सभी कारखानों और मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को वर्तमान में लागू श्रम अधिनियमों में सशर्त अस्थायी छूट प्रदान करने का फैसला किया है। हालाँकि श्रम कानूनों में बच्चों और महिलाओं से संबंधित प्रावधान जारी रहेंगे।
केंद्र सरकार पर पक्षपात का आरोप
ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर पश्चिम बंगाल के साथ पक्षपात करने का भी आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तमाम मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक के दौरान भी ममता बनर्जी ने कहा था कि बंगाल के लोग संघवाद का सम्मान करते हैं और दृढ़ता के साथ आपके साथ खड़े हैं।
इसके साथ ही ममता ने यह भी कहा- “लेकिन मेरा विनम्र निवेदन है कि आप संघीय ढाँचे को ना तोड़ें। संकट के इस समय में हमें इससे निपटना जरूरी है, हम लगातार ऐसा करते रहेंगे। लेकिन अगर आप फैसला लेने के बाद बैठक करेंगे तो इस तरह की बैठक का क्या फायदा है।”