पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने एक बार फिर से कॉन्ग्रेस पार्टी और उसके नेतृत्व पर सवाल खड़े किए हैं। कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी में अपनी आवाज़ उठाने के लिए कोई मंच ही नहीं है, क्योंकि वो कॉन्ग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने अपने उस बयान से सहमति जताई, जिसमें उनका कहना था कि देश में कॉन्ग्रेस अब भाजपा के सामने एक प्रभावशाली विपक्ष नहीं है।
‘इंडिया टुडे’ के राजदीप सरदेसाई के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि आप एक प्रभावशाली विकल्प कैसे बन सकते हैं, जब आपके पास पिछले 18 महीनों से कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष तक नहीं है और पार्टी में इसे लेकर कोई विचार-विमर्श ही नहीं हुआ है कि चुनाव में हार क्यों हो रही है। उन्होंने साफ़ किया कि वो गाँधी परिवार के खिलाफ बगावत नहीं कर रहे हैं। उन्होंने अधीर रंजन चौधरी की भी आलोचना की, जिन्होंने उन्हें नसीहत दी थी।
उन्होंने लोकसभा में कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को सलाह दी कि पश्चिम बंगाल में चुनाव आ रहे हैं और उन्हें ये साबित करने के लिए मेहनत करना चाहिए कि राज्य में कॉन्ग्रेस एक ताकत है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्टार प्रचारकों की सूची में भी उन्हें शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि आज कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता घर से भी नहीं निकल सकते, क्योंकि उनसे पूछा जाता है कि आपकी पार्टी को क्या हो रहा है?
उन्होंने पूछा कि आम कार्यकर्ताओं की भावनाओं का क्या? उन्होंने कहा कि उनकी भावनाओं को तो ठेस पहुँची ही है, साथ में कॉन्ग्रेस के लाखों कार्यकर्ताओं के साथ भी यही हुआ है। उन्होंने कहा कि वो जानते हैं कि एक दिन में बदलाव नहीं हो सकता, लेकिन हम 2014 हारे और 2019 भी हारे। उन्होंने दावा किया कि वो किसी को चुनौती नहीं दे रहे, लेकिन हमें बाहर निकल कर जनता को कॉन्ग्रेस की विचारधारा के बारे में बताना होगा।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वो कॉन्ग्रेस के नेतृत्व में बदलाव की माँग कर रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया कि जब राहुल गाँधी ही कह रहे हैं कि वो पार्टी का अध्यक्ष नहीं बने रहना चाहते, तो फिर नेतृत्व में बदलाव की माँग करने के आरोप उन पर कैसे लगाए जा सकते हैं? उन्होंने कहा कि लोग अभी भी राहुल गाँधी की ओर देख रहे हैं, क्योंकि ये सिर्फ पार्टी ही नहीं, बल्कि देश को भी ‘चंद लोगों से’ बचाना है, लोकतंत्र को बचाना है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी वफादारी किसी खास व्यक्ति के प्रति नहीं, बल्कि देश के लिए है। उन्होंने ऐलान किया कि वो तब तक सवाल उठाना बंद नहीं करेंगे, जब तक विचार-विमर्श और संवाद शुरू नहीं हो जाता। उन्होंने अधीर रंजन चौधरी को सलाह दी कि वो उनकी चिंता छोड़ कर पश्चिम बंगाल की चिंता करें। उन्होंने अशोक गहलोत को भी सलाह दी कि वो कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की भावनाओं की चिंता करें।
उधर पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी कहा कि कॉन्ग्रेस के नीतिगत ढाँचे की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी के प्रदर्शन में पिछले कुछ समय से लगातार गिरावट ही आई है। उन्होंने सलाह दी कि कॉन्ग्रेस को इतना साहसी बनना होगा कि गिरावट के उन कारणों को पहचाने और उन पर काम करे। चिदंबरम ने कहा कि उपचुनाव इस बात प्रमाण हैं कि कॉन्ग्रेस की संगठनात्मक दृष्टिकोण से कोई पकड़ नहीं रह गई है। इतना ही नहीं जिन राज्यों में उपचुनाव हुए हैं, उनमें कॉन्ग्रेस कमज़ोर ही हुई है।