जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता व ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी का बुधवार (सितंबर 1, 2021) देर रात निधन हो गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उनके अतीत से जुड़ी कई घटनाओं को शेयर किया है।
इसी कड़ी में पत्रकार और कश्मीरी पंडित आदित्य राज कौल ने 2011 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अलगाववादी नेता से तीखे सवाल पूछते हुए उनका एक वीडियो साझा किया, जिसके कारण उन्हें डराया-धमकाया गया।
कौल ने वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, “मैं सैयद अली शाह गिलानी से जीवन में दो बार मिला। सबसे दिलचस्प बात यह है कि जब इंडिया टुडे ने मुझे नई दिल्ली में 2011 के कॉन्क्लेव में बोलने के लिए आमंत्रित किया, तो वहाँ मैंने पाकिस्तान में सीमा पार के आकाओं के साथ उनके संबंधों और इस बात का खुलासा किया कि किस तरह से वो आतंकवाद का समर्थन करते हैं। जब उन्होंने जवाब देने की कोशिश की तो भीड़ ने हंगामा करना शुरू कर दिया।”
I met Syed Ali Shah Geelani twice in life. Most interestingly when India Today invited me to speak at their 2011 Conclave in New Delhi where I exposed his links with masters across the border in Pakistan and how he supported terrorism. The crowd booed when he tried to respond.👇 pic.twitter.com/oVMv91vrhY
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) September 1, 2021
हुर्रियत नेता के सामने बेबाकी से खड़े कौल ने कभी उन्हें खूँखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के प्रतिबिंब के रूप में परिभाषित किया था। 1990 के दशक में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का एक किस्सा साझा करते हुए, कौल ने बताया, “मैं सिर्फ नौ महीने का था जब मेरी माँ को मुझे एक कपड़े में लपेटकर भागना पड़ा ताकि गिलानी जैसे लोग मुझे और मेरे जैसे सौ अन्य बच्चों को न मार सके।”
कौल ने कहा, “सैकड़ों बच्चे मारे गए और सैकड़ों महिलाओं का बलात्कार किया गया।” इस दौरान उन्होंने कहा कि वह गिलानी से एक आम कश्मीरी के रूप में बात कर रहे थे, न कि एक हिंदू पंडित के रूप में। आगे उन्होंने अपना सवाल पूछते हुए कहा, “उन कश्मीरी पंडितों, लद्दाखियों और जम्मू के लोगों के बारे में उनका (गिलानी) क्या कहना है, जो इतने सालों से पीड़ित हैं।” कौल के इस सवाल पर खूब तालियाँ बजी।
कौल ने तब जोर देकर कहा कि वह गिलानी से किसी जवाब की उम्मीद नहीं करते हैं, क्योंकि वह उनकी विचारधारा और झुकाव को जानते हैं। फिर उन्होंने पूछा कि हुर्रियत नेता ने अपने ही लोगों को क्यों मार डाला, क्योंकि वे भारत के पक्ष में बोलते थे। कौल ने गिलानी पर घाटी में गन कल्चर स्थापित करने का आरोप लगाते हुए कहा, “आप केवल सीमा पार अपने आकाओं के प्रति वफादार हैं।”
इस पर गिलानी ने शर्मनाक जवाब देते हुए कहा कि कश्मीरी पंडितों के पलायन में हुर्रियत की कोई भूमिका नहीं थी और यह सब तत्कालीन गवर्नर जगमोहन मल्होत्रा की साजिश थी। गिलानी की प्रतिक्रिया पर दर्शकों की हँसी छूट गई और उन्होंने इसके लिए उनकी निंदा भी की।
उल्लेखनीय है कि गिलानी जिनका 92 साल की उम्र में बुधवार को श्रीनगर में निधन हो गया, उन्होंने अपना पूरा जीवन जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के एजेंडे को आगे बढ़ाने में बिताया। गिलानी कश्मीर में एक प्रमुख कट्टरपंथी अलगाववादी नेता थे, जिन्होंने इस क्षेत्र में अलगाववादी कार्यकर्ताओं की वृद्धि में प्रमुख भूमिका निभाई थी। उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त करने वालों में महबूबा मुफ्ती भी थीं। गिलानी पर अक्सर पाकिस्तान की फंडिंग के सहारे कश्मीर में अलगाववाद भड़काने के आरोप लगे। उनके विरुद्ध कई केस भी हुए। NIA और ED ने टेरर फंडिंग के मामले में जाँच की थी, जिसमें उनके दामाद समेत कई रिश्तेदारों से पूछताछ हुई थी।