Saturday, July 27, 2024
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अलगाववादी गिलानी सुपुर्द-ए-खाक, अफवाहों पर विराम के लिए इंटरनेट शटडाउन: इमरान खान ने उगला जहर

प्रधानमंत्री इमरान खान ने लिखा, "कश्‍मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी के इंतकाल की खबर सुनकर बहुत दुखी हूँ। गिलानी जीवनभर अपने लोगों और उनके आत्‍मनिर्णय के अधिकार के लिए लड़ते रहे। भारत ने उन्‍हें कैद करके रखा और प्रताड़‍ित किया।"

जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता व ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी का बुधवार (सितंबर 1, 2021) देर रात निधन हो गया। 91 वर्षीय गिलानी गुर्दे संबंधी बीमारी से पीड़ित थे। इसके अलावा उन्हें उम्र संबंधी परेशानियाँ भी थीं।

उनके इंतकाल के बाद जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। वहीं, आईजीपी विजय कुमार ने भी इस खबर के बाद कश्मीर में कुछ पाबंदियाँ लगाईं। इंटरनेट सेवा भी इसी के मद्देनजर बंद की गई हैं।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, गिलानी को गुरुवार सुबह श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में सुबह 4:37 पर सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इस दौरान इंटरनेट सेवा बंद रहीं ताकि घाटी में अफवाहों के कारण किसी तरह की परेशानी न हो।

पत्रकार रोहन दुआ के अनुसार, आज सुबह 4:30 बजे जम्मू-कश्मीर पुलिस की देखरेख में कश्मीरी अलगाववादी नेता गिलानी को दफनाया गया। बताया जा रहा है कि गिलानी के कुछ साथियों ने ऐसे समय में भी स्थानीयों को उकसाते हुए विरोध का आह्वान किया था। इसी के मद्देजर कश्मीर पुलिस ने गुरुवार की तड़के किसी भी जुलूस निकालने की उनकी योजना को विफल कर दिया और आवश्यक पाबंदियाँ लगाईं। अनुमान है कि ऐसे समय में पाकिस्तान घाटी में लोगों को उकसाने की कोशिश कर सकता है।

गिलानी का परिवार भी चाहता था कि उन्हें सुबह 10 बजे के करीब दफनाया जाए। वे रिश्तेदारों को उनके जनाजे में बुलाना चाहते थे लेकिन इसकी इजाजत नहीं दी गई। उनके परिवार में 2 बेटे और 6 बेटियाँ हैं।

उल्लेखनीय है कि गिलानी कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी नेता थे। उनका जन्म 29 सितंबर 1929 को सोपोर में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई लाहौर से करने के बाद राजनीति में कदम रखा और 3 बार सोपोर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए।

उन्होंने कभी कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं माना। सन् 1990 में उन्होंने अलगाववाद की राजनीति करने वालों के लिए एक मंच तैयार किया और उसका नाम ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस कर लिया। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के विरुद्ध तमाम गुट शामिल हो गए। 

गिलानी पर अक्सर पाकिस्तान की फंडिंग के सहारे कश्मीर में अलगाववाद भड़काने के आरोप लगे। उनके विरुद्ध कई केस भी हुए। NIA और ED ने टेरर फंडिंग के मामले में जाँच की थी, जिसमें उनके दामाद समेत कई रिश्तेदारों से पूछताछ हुई थी।

आज उनके इंतकाल के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए शोक व्यक्त किया है। साथ ही साथ जहरीला बयान देने से बाज नहीं आए। उन्होंने लिखा, “कश्‍मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी के इंतकाल की खबर सुनकर बहुत दुखी हूँ। गिलानी जीवनभर अपने लोगों और उनके आत्‍मनिर्णय के अधिकार के लिए लड़ते रहे। भारत ने उन्‍हें कैद करके रखा और प्रताड़‍ित किया।”

उन्होंने गिलानी को ‘पाकिस्तानी’ बताते हुए ऐलान किया कि वो गिलानी की मौत का शोक मनाएँगे। उन्होंने लिखा, “हम पाकिस्‍तान में उनके संघर्ष को सलाम करते हैं और उनके शब्‍दों को याद करते हैं- हम पाकिस्‍तानी हैं और पाकिस्‍तान हमारा है। पाकिस्‍तान का झंडा आधा झुका रहेगा और हम एक दिन का आधिकारिक शोक मनाएँगे।”

इसी तरह पाकिस्तान के जनरल कमर जावेद बाजवा ने अलगाववादी नेता को ‘आइकन’ कहा और उनके निधन पर ‘गहरा दुख’ व्यक्त किया। मालूम हो कि साल 2020 में पाकिस्तान ने उन्हें निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजा था। 

बता दें कि गिलानी के जाने के बाद सोपोर क्षेत्र में सुरक्षा के लिहाज से कई पाबंदियाँ लगाई गई हैं। पुलिस ने कहा है कि कर्फ्यू जैसी पाबंदियाँ कश्मीर में लगी हैं। गिलानी के घर के बाहर और जो सड़क वहाँ तक जाती है, सभी जगह बड़ी तादाद में पुलिस तैनात है है। किसी को वहाँ जाने की अनुमति भी नहीं है। जानकारी मिली है कि कश्मीर घाटी में कई जगह मस्जिदों से लाउडस्पीकर से गिलानी के इंतकाल की घोषणा हुई और उनके लिए नारेबाजी हुई है। इसके अलावा लोगों को बड़ी तादाद में जुलूस में शामिल होने के लिए सड़कों पर आने को भी कहा गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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