संसद के विशेष सत्र के दौरान गुरुवार (21 सितंबर, 2023) को लोकसभा में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी चंद्रयान पर बात रख रहे थे। इसी दौरान वो टोकाटाकी से सांसद कुँवर दानिश अली पर उखड़ गए। उन्होंने सांसद दानिश अली को निशाने पर लेते हुए उग्रवादी जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। रमेश बिधूड़ी ने लोकसभा में दानिश अली को ‘ओए भड़&*’, ‘ओए उग्रवादी’, ओए कट&*, ‘ये आतंकवादी है, ये उग्रवादी है’, ‘ये मुल्ला उग्रवादी है’, ‘बाहर देखूँगा इस मुल्ले को’ जैसे संबोधनों से नवाजा।
हालाँकि, इसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खेद जताया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रमेश बिधूड़ी को चेतावनी भी दी। बाद में रमेश बिधूड़ी के बयान को लोकसभा की कार्यवाही से बाहर निकाल दिया गया। संसद की कार्यवाही का वो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
जिस दानिश अली को 'भारत माता की जय' से नफरत है, जिसने सिख MLC से बदतमीजी की – उसे सबक सिखाने वाले एक गुर्जर नेता के पीछे पूरा इस्लामी गिरोह हाथ धोकर पड़ा है। #RameshBidhuri उस परिवार से आते हैं, जिसने अपनी जमीन-जायदाद का एक बड़ा हिस्सा आर्य समाज मंदिर, विद्यालय और अस्पताल बनवाने… pic.twitter.com/zo4jZzePUy
— Prabhakar Singh Parihar (@IPrabhakarSP) September 22, 2023
संसद से शुरू हुए इस पूरे विवाद के केंद्र में हैं दानिश अली। दानिश अली कौन हैं? उनका राजनीतिक इतिहास क्या रहा है? वो किस पार्टी से आते हैं और किस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में उठ रहे होंगे, जिसका जवाब हम विस्तार से दे रहे हैं।
बसपा के सांसद हैं कुँवर दानिश अली
दानिश अली बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर साल 2019 का लोकसभा चुनाव अमरोहा से जीतकर संसद पहुँचे हैं। वो पहली बार सांसद बने हैं। बहुजन समाज पार्टी में वो पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही शामिल हुए थे, वो भी अपनी पुरानी पार्टी जनता दल (सेक्युलर) के मुखिया से आशीर्वाद लेकर।
जी हाँ, कुँवर दानिश अली पहले जनता दल (सेक्युलर) के नेता थे। वो पार्टी में महासचिव के पद पर थे। उन्होंने कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर) और कॉन्ग्रेस के बीच तालमेल बिठाकर सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने साल 2019 में भाजपा के कँवर सिंह तँवर को हराकर मोदी लहर के बावजूद सपा-बसपा-कॉन्ग्रेस की जुगलबंदी का फायदा उठाकर जीत हासिल की थी।
विवादों से रहा है पुराना नाता
दानिश अली कई बार विवादों में रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी की थी, तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भी जहरीले बयान दे चुके हैं। हालाँकि इस साल वो दो बार विवादों में आए। इस साल फरवरी माह में उन्होंने टीपू सुल्तान की कब्र का दौरा किया। उन्होंने कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष को ललकारते हुए खुद को टीपू सुल्तान का ‘प्राउड फॉलोवर’ बताया था।
Visited Srirangapatna summer palace and the mazaar of India's first freedom fighter Shaheed #TipuSultan to challenge @nalinkateel and the followers of Godse that I am ready to fight an ideological battle with you as I am a proud follower of Tipu Sultan, Gandhi, Ambedkar and Azad. pic.twitter.com/A3k4KG8dvh
— Kunwar Danish Ali (@KDanishAli) February 17, 2023
‘भारत माता की जय’ का मंच से किया था विरोध
बीते अगस्त माह में ही कुँवर दानिश अली ने अमरोहा में ‘भारत माता की जय‘ के नारे पर आपत्ति जताई थी। यही नहीं उन्होंने एक कार्यक्रम में भारत माता की जय का नारा लगाने पर आपत्ति करते हुए जमकर हंगामा किया था। उन्होंने कहा कि चूँकि ये सरकारी कार्यक्रम है, इसलिए ‘भारत माता की जय’ का नारा न लगाया जाए। उनकी इस हरकत पर गुस्साई भाजपा ने उन्हें जिहादी करार दिया था।
हापुड़ में जन्म, दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत तक राजनीति
कुँवर दानिश अली का जन्म साल 1975 में हापुड़ में हुआ था। दानिश अली ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पढ़ाई की है और उनके तीन बच्चे हैं। कुँवर दानिश अली खुद को सेक्युलर विचारधारा का बताते हैं। उन्होंने कर्नाटक की पार्टी जनता दल (सेक्युलर) से अपनी राजनीति शुरू की और जल्द ही पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के करीबी हो गए। उन्होंने देवेगौड़ा का आशीर्वाद लेकर ही बहुजन समाज पार्टी ज्वॉइन की थी। उन्हें बसपा ने अपने संसदीय दल का नेता भी बनाया था, लेकिन दो साल के भीतर ही उन्हें पद से हटा दिया था। इस समय वो गृह मंत्रालय की एक समिति के सदस्य भी हैं।