त्रिपुरा में भाजपा लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। 60 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी को 32 सीटें मिली है। वैसे तो इस लाल गढ़ को बीजेपी ने 2018 में ही भेद दिया था। लेकिन धनपुर वह सीट थी जो पिछली बार भगवा लहर में भी लेफ्ट के साथ रही। 2023 के विधानसभा चुनावों में लेफ्ट का यह गढ़ भी ढह गया है। बीजेपी की प्रतिमा भौमिक ने इस सीट पर कमल खिलाया है।
प्रतिमा की जीत कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि नतीजों के बाद से उनके त्रिपुरा की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने की अटकलें लगाई जा रही है। वैसे चुनावों से पहले बीजेपी ने माणिक साहा को ही सीएम चेहरे के तौर पर मैदान में उतारा था। लेकिन अब मीडिया रिर्पोटों में कहा जा रहा है कि प्रतिमा उनकी जगह ले सकती हैं।
प्रतिमा भौमिक (BJP leader Pratima Bhoumik) अभी केंद्र की मोदी सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री हैं। उन्होंने CPM के गढ़ में भगवा फहराकर सभी को हैरान कर दिया है। प्रतिमा भौमिक ने जिस धनपुर सीट से सीपीएम उम्मीदवार कौशिक चंदा को हराया है, उस सीट से त्रिपुरा के गठन के बाद से कभी लेफ्ट हारा नहीं था। त्रिपुरा राज्य 1972 में अस्तित्व में आया था। उसके बाद से धनपुर का प्रतिनिधित्व कम्युनिस्ट दिग्गज समर चौधरी और माणिक सरकार करते रहे।
त्रिपुरा को राज्य का दर्जा मिलने के बाद समर चौधरी ने पहले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। वह लगातार 1993 तक इस सीट पर काबिज रहे। 1998 के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में धनपुर विधानसभा सीट से माणिक सरकार चुनाव जीते और राज्य के मुख्यमंत्री बने। 2018 के भाजपा लहर में भी माणिक सरकार यह लाल गढ़ बचाने में कामयाब रहे। उन्होंने पिछले चुनाव में प्रतिमा भौमिक को करीब 5400 वोटों से हराया था।
इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद से 53 वर्षीय प्रतिमा भौमिक को त्रिपुरा में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि त्रिपुरा को इस बार प्रतिमा के रूप में एक महिला मुख्यमंत्री मिल सकती है। भौमिक के सीएम बनाए जाने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “इससे इनकार नहीं किया जा सकता। अगर उन्हें सीएम बनाया जाता है, तो माणिक साहा को केंद्र सरकार में जगह दी जा सकती है।”
कृषक परिवार से आती हैं प्रतिमा भौमिक
प्रतिमा भौमिक धनपुर गाँव के कृषक परिवार से आती हैं। उनका गाँव भारत-बांग्लादेश सीमा के करीब है। उन्होंने अगरतला के महिला कॉलेज से जीवन विज्ञान में स्नातक की है। प्रतिमा अपने पिता की मदद करना चाहती थीं, इसलिए पढ़ाई करने के बाद वह गाँव आईं। यहाँ वह खेती और छोटे व्यवसाय में अपने पिता का हाथ बँटाती थीं। इसके अलावा गाँव में वह समाज सेवा करती थीं। वह आरएसएस में काम करने के दौरान बीजेपी से जुड़ गई थीं।
समर्थकों के लिए प्रतिमा दी
प्रतिमा भौमिक ‘प्रतिमा दी’ के नाम से भी लोकप्रिय हैं। वह पिछले लोकसभा चुनावों में पश्चिम त्रिपुरा लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुई थीं। इससे पहले वह भाजपा की त्रिपुरा इकाई की महासचिव भी रह चुकी हैं। वह केंद्रीय मंत्री बनने वाली त्रिपुरा की पहली महिला हैं। इससे पहले सिर्फ दो बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में त्रिपुरा का प्रतिनिधित्व हुआ है। 1967 और 1968 में राज्यसभा के लिए मनोनीत जादवपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ त्रिगुण सेन केंद्रीय शिक्षा मंत्री थे। बाद में, असम की बराक घाटी से कॉन्ग्रेस के संतोष मोहन देब, 1989 और 1991 में त्रिपुरा से दो बार चुने गए और 1996 तक केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे।