जम्मू-कश्मीर लिबरल फ्रंट के अध्यक्ष यासीन मलिक को बीते शुक्रवार (फरवरी 22, 2019) की रात मायसूमा स्थित आवास से हिरासत में लिया । इसके बाद यासीन को पहले कोठीबाग ले जाया गया और फिर वहाँ से सेंट्रल जेल में भेज दिया गया। खबरें हैं कि आज (फरवरी 23,2019) यासीन को राज्य से बाहर भी भेजा जा सकता है।
पुलिस को आशंका है कि पुलवामा हमले के बाद अलगाववादी कश्मीर के माहौल को और भी खराब कर सकते हैं। इसलिए एहतियात बरतते हुए यासीन को गिरफ्तार किया गया है। हालाँकि अभी किसी अन्य नेता को हिरासत में लिए जाने की ख़बर सामने नहीं आई है। इसके अलावा प्राप्त जानकारी के अनुसार अनुच्छेद 35-ए पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (फरवरी 25, 2019) को सुनवाई शुरू होगी।
Jammu Kashmir Liberation Front Chief Yasin Malik was detained from his residence in Srinagar last night, ahead of hearing on Article 35A in Supreme Court which is likely to take place on Monday. pic.twitter.com/S8c9QFhG1e
— ANI (@ANI) February 23, 2019
पुलवामा हमले के बाद सरकार ने अलगाववादी नेताओं के ख़िलाफ़ सख्त रुख अपनाते हुए घाटी के 18 हुर्रियत नेताओं और 155 राजनीतिज्ञों से सुरक्षा वापस ले ली थी। इन अलगाववादी नेताओं में मौलवी अब्बास अंसारी, एसएएस गिलानी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, अगा सैयद मौसवी, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अब्दुल गनी शाह, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा के नाम भी शामिल हैं। इनकी सुरक्षा के लिए सौ से ज्यादा गाड़ियाँ और 1000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था।
Security cover of 18 separatist leaders and 155 Jammu and Kashmir politicians has been withdrawn in the aftermath of the Pulwama attack. https://t.co/iOqEYgqOFx
— TIMES NOW (@TimesNow) February 21, 2019
हमले के बाद से श्रीनगर में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस सुरक्षा के कड़े प्रबंध कर रही है। इसी दिशा में एक सप्ताह के बाद यह कार्रवाई की गई है। बता दें कि कल शुक्रवार को मलिक ने सरकार द्वारा अलगाववादी नेताओं को दी सुरक्षा को झूठा करार दिया था। यासीन ने कहा था कि पिछले 30 साल से उन्हें कोई सुरक्षा नहीं मिली है, ऐसे में जब सुरक्षा मिली ही नहीं है तो वह किस वापसी की बात कर रहे हैं।
यासीन ने एक तरफ जहाँ सुरक्षा वापस लेने वाले फैसले को बेईमानी बताया है वहीं पर सैयद अली शाह गिलानी ने सुरक्षा वापस लेने वाली खबर को बेहद हास्यास्पद बताया।
क्या है 35-ए, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में शुरू होगी सुनवाई?
- दूसरे राज्य का कोई भी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर का स्थाई निवासी नहीं बन सकता है।
- जम्मू-कश्मीर के बाहर का कोई भी व्यक्ति यहाँ पर अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता।
- इस राज्य की लड़की अगर किसी बाहरी लड़के से शादी करती है, तो उसके सारे प्राप्त अधिकार समाप्त कर दिए जाएँगे।
- राज्य में रहते हुए जिनके पास स्थायी निवास प्रमाणपत्र नहीं हैं, वे लोकसभा चुनाव में मतदान कर सकते हैं लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव में वोट नहीं कर सकते हैं।
- इस अनुच्छेद के तहत यहाँ का नागरिक सिर्फ़ वहीं माना जाता है जो 14 मई 1954 से पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या फिर इस बीच में यहाँ उसकी पहले से कोई संपत्ति हो।