मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि मैं योगी को उत्तर प्रदेश का सबसे ‘नाकाम और सबसे घटिया’ मुख्यमंत्री मानते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस राष्ट्र, राष्ट्रभक्ति, राष्ट्र-निर्माण, राष्ट्र-सुरक्षा की सबसे ज्यादा सीना पीटने वाले लोगों की पार्टी से आने वाले व्यक्ति ने राष्ट्र के साथ सबसे ज्यादा विश्वासघात किया है। उन्होंने योगी आदित्यनाथ पर देश-प्रदेश के लोगों को अलग-अलग खेमों में बाँटने का आरोप भी मढ़ा।
उन्होंने कहा कि मुल्क की दुश्मनी के लिए इससे बड़ा जुर्म कुछ नहीं होता सकता। सीएम योगी ने सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने उनके इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा, “मुस्लिम औरतों के ख़िलाफ़ 3 तलाक़ और हलाला जैसे जुल्म का ‘लुत्फ़’ लेने वाले चार टके के मौलाना भी सियासी मौसम आते ही चुनावी फ़तवे बाँटने लगे।” वहीं लोगों ने कहा कि तालिबान के हमदर्दों के मानने या न मानने से कोई फर्क नहीं पड़ता, सीएम योगी आदित्यनाथ ही फिर से सत्ता में लौटेंगे।
‘इंडिया टीवी’ के एक कार्यक्रम में उन्होंने ये बातें कही। मौलाना महमूद मदनी जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा राजनीतिक सत्ता जो है, जो मुख्य मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए मुस्लिमों की बात लेकर आ जाता है। उन्होंने इसे मुल्क के लिए बुरी बात बताते हुए कहा कि जो मुस्लिमों के साथ होने का दावा करते हैं, वो भी साथ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को अपने साथ कर के हम जोड़ सकते हैं, वहाँ हम नाकाम रहे हैं।
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि एक बार वो एयरपोर्ट पर टहल रहे थे तो उन्हें ख्याल आया कि कहीं सीसीटीवी पर देख रहे सुरक्षाकर्मी कहीं उन्हें पकड़ न लें, क्योंकि मैं कुर्ता-पायजामा-टोपी में था। उन्होंने कहा कि मुस्लिम अपनी पहचान छोड़ देगा तो परेशानी का हल नहीं होगा। उन्होंने देवबंद का बचाव करते हुए कहा कि कभी इसी ने अफगानिस्तान में भारत की सरकार बनाई थी। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद राजा महेंद्र प्रताप को राष्ट्रपति बनाया गया था।
उन्होंने कहा, “हमें कहा जाता है कि तालिबान की और हमारी सोच एक है। इससे आपको समस्या नहीं होनी चाहिए। मीडिया ने मुस्लिमों को ख़त्म करने के लिए 5-10 सवाल इकट्ठे कर रखे हैं। मीडिया को इस्लाम से समस्या है। हमें देश की राजनीति में अच्छे लोगों की ज़रूरत है। सिर्फ मुजफ्फरनगर दंगे ही नहीं, कई मामले हैं जिनमें हम पर दोतरफा मार किया जा रहा है। 5-7 साल केस चलने के बाद हम बरी हो जाएँगे। ये केस लगाते भी हैं और हटाते भी हैं।”
उन्होंने पूछा कि अचानक साढ़े 4 साल बाद योगी सरकार की आँख कैसे खुल गई कि धर्मांतरण हो रहा है, ये तो हम काफी दिनों से कर रहे? उन्होंने नसीहत दी कि मुस्लिमों की वफादारी पर कोई शक न करे। उन्होंने एक खाद तबके के साथ नाइंसाफी की बात करते हुए कहा कि आवाज़ उठाई जानी चाहिए। यूपी के अगले विधानसभा चुनाव पर उन्होंने कहा कि उम्मीदवार के आधार पर वोट किसको देना है ये तय किया जाएगा।