टेरर फंडिंग मामले में एटीएस और स्थानीय पुलिस ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से शुक्रवार (11 अक्टूबर) को चार लोगों को गिरफ़्तार किया था। गिरफ़्तार किए गए चारों आरोपितों से पूछताछ के बाद एटीएस ने अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े दो और आरोपितों सिराजुद्दीन और फ़हीम को बरेली के इज्जतनगर से गुरुवार (17 अक्टूबर) को गिरफ़्तार कर लिया है। सिराजुद्दीन के पास से दो मोबाइल फोन और एक कार बरामद हुई है। वहीं, इस मामले का एक और आरोपित सदाकत नेपाल भाग चुका है।
ख़बरों के मुताबिक़, एटीएस अधिकारियों ने बताया कि सिराजुद्दीन और फ़हीम निर्दोष व्यक्तियों को लालच देकर अन्य देशों से अपने बैंक खातों में रुपए ट्रान्सफर करने के लिए कमीशन की पेशकश करते थे। एडीजी, एटीएस, डी के ठाकुर ने बताया कि आरोपितों (सिराजुद्दीन और फ़हीम) ने गिरफ़्तार किए गए उम्मेद अली, समीर सलमानी, संजय अग्रवाल, एजाज अली को कमीशन का लालच दिया था।
उन्होंने बताया,
“यह जोड़ी दूसरे देशों से अपने बैंक खातों में पैसा ट्रान्सफर करती थी और बाद में इसे वापस ले लेती थी। फ़हीम इस पैसे को आतंकी गतिविधियों के लिए दिल्ली ले गया था।”
जानकारी के अनुसार, गुरुवार को बरेली एटीएस टीम के प्रभारी मंजीत सिंह इज्जतनगर थाना पुलिस को लेकर परतारपुर पहुँचे। वहाँ पहुँचकर टीम ने सदाकत, फ़हीम और सिराजुद्दीन के घर का मुआयना किया। सदाकत के घर पर ताला लगा हुआ था। इसलिए सिराजुद्दीन और फ़हीम तो नहीं मिले लेकिन उनके घर के सदस्य वहाँ मौजूद थे। उन्होंने बताया कि दोनों कई दिनों से घर से लापता हैं।
ग़ौरतलब है कि टेरर फंडिंग मामले में लखीमपुर खीरी से जिन चार आरोपितों को गिरफ़्तार किया गया था, उनके बारे में पता चला था कि वो विदेस से नेपाल की बैंकों में आने वाले धन को भारतीय मुद्रा में तब्दील करके खीरी के रास्ते देश भर में भेजते थे। इस धन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाता था।
अभियुक्तों ने इस बात का भी ख़ुलासा किया था कि अवैध धन बरेली के रहने वाले फ़हीम और सदाकत को दिया जाता था और उनसे कमीशन ले लिया जाता था। फ़हीम और सदाकत रक़म को दिल्ली पहुँचाते थे। अमर उजाला में प्रकाशित ख़बर के अनुसार, गिरफ़्तार किए गए लोगों ने नेपाल के एक बैंक की वेबसाइट हैक करके 49 लाख रुपए निकाले थे। पुलिस ने इनके पास से 4.75 लाख भारतीय रुपए और 1.65 लाख नेपाली रुपए बरामद किए।