अपने विवादित बयानों और हरकतों के कारण सुर्खियाँ में रहने वाले सपा के भू-माफिया नेता आजम खान के नाम पर एक नया खुलासा हुआ है। दरअसल, भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक आकाश सक्सेना ने AMU की अनुशासन समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि आजम खान को उनके अमर्यादित आचरण के कारण अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से निकाला गया था।
हालाँकि भाजपा नेता के इस दावे पर आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने जवाब देने से मना किया है। वे कहते हैं कि वे इस तरह के तुच्छ आरोपों का जवाब देना उचित नहीं समझते। जबकि आकाश सक्सेना ने AMU की अनुशासन समिति की कॉपी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजी है। साथ ही उनसे माँग की है कि आजम खान की सदस्यता समाप्त की जाए।
भाजपा नेता आकाश का दावा है कि आजम खान रामपुर के लोगों को झूठी कहानी सुनाते हैं कि आपातकाल के आंदोलन में भाग लेने की वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई की गई थी। जबकि हकीकत ये है कि साल 1973-74 में आजम खान को उनके अमर्यादित आचरण के कारण निष्कासित कर दिया गया था।
#SamajwadiParty MP #AzamKhan, who was recently made to apologize for his derogatory behavior towards a presiding officer in the #LokSabha, was rusticated from the #AligarhMuslimUniversity in 1975 for allegedly misbehaving with a woman.
— IANS Tweets (@ians_india) August 9, 2019
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एएमयू से प्राप्त अनुशासन समिति की रिपोर्ट के आधार पर आकाश ने दावा किया है कि एएमयू के तत्कालीन वाइस चांसलर प्रोफेसर एएम खुसरो के नेतृत्व वाली 9 सदस्यीय कमिटी ने 26 सितंबर 1975 को आजम खान को दोषी करार देते हुए हमेशा के लिए विश्वविद्यालय में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उस दौरान आजम खान एलएलएम के छात्र थे।
गौरतलब है कि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस 45 साल पुराने मसले पर आजम खान का पक्ष जानने की बहुत कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया, जबकि उनके बेटे ने इस सवाल को निरर्थक करार समझते हुए कहा कि वे इन जवालों के जवाब देना उचित नहीं समझते। इन पर कानूनी कार्रवाई होगी।
शत्रु संपत्ति मामले में आजम पर एक और मुकदमा दर्ज
बता दें कि समय के साथ भू-माफिया आजम खान की मुश्किलें कम होने की बजाए बढ़ती जा रही हैं। एक ओर जहाँ भाजपा नेता ने उनकी सदस्यता रद्द करने की माँग की है, वहीं रामपुर शहर कोतवाली में आजम खान समेत 4 के खिलाफ शत्रु संपत्ति के मामले में मुकदमा भी दर्ज हुआ है। इस बार उन पर आरोप है कि रामपुर के तत्कालीन एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (ईओ) ने आजम खान और उनके जौहर विश्वविद्यालय ट्रस्ट को फायदा पहुँचाने के लिए कागजों में हेराफेरी कर गलत नोटिस जारी किया था। आजम खान पर यह मुकदमा नायब तहसीलदार की तरफ से दर्ज कराया गया है।
जानकारी के मुताबिक रामपुर में सींगनखेड़ा इलाके में स्थित शत्रु संपत्ति को पहले इन लोगों ने मिलीभगत से वक्फ में दर्ज कराया और फिर उस संपत्ति के बारे में कब्जा जमा होने का नोटिस जारी कर दिया। जिसके बाद आजम खान ने इसे अपने ट्रस्ट में शामिल कर लिया।