नासिक के 22 वर्षीय छात्र निखिल भामरे की रिहाई को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब तलब किया है। सोशल मीडिया में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर कथित तौर पर पोस्ट करने के कारण भामरे जेल में बंद है। इसी साल मई में इस पोस्ट को लेकर उसकी गिरफ्तारी हुई थी। अपनी रिहाई को लेकर उसने हाई कोर्ट में अपील कर रखी है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि क्या वह हर उस ट्वीट पर संज्ञान लेंगे जो उन्हें आपत्तिजनक लगता है। छात्र की गिरफ्तारी करने के मामले में कोर्ट ने कहा कि एनसीपी प्रमुख खुद नहीं चाहेंगे कि एक छात्र जेल में रहे।
जस्टिस एसएस शिंदे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने छात्र निखिल भामरे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पब्लिक प्रॉजिक्यूटर को गृह विभाग से निर्देश लेकर बताने को कहा कि उन्हें फार्मेसी छात्र की रिहाई से कोई आपत्ति तो नहीं होगी। इस याचिका में निखिल ने खुद के ऊपर दर्ज केस को चुनौती दी थी। कोर्ट ने छात्र की याचिका पर गौर करते हुए पाया कि सोशल मीडिया के जिस पोस्ट पर उसकी गिरफ्तारी की गई उसमें हकीकत में कोई व्यक्ति विशेष का नाम ही नहीं है। इस गिरफ्तारी के कारण निखिल की परीक्षा भी छूट गई।
Bombay High Court pulls up Maharashtra govt over arrest of student for alleged defamatory posts against NCP president Sharad Pawar, asks if govt would take cognizance of every tweet it deems offensive
— Press Trust of India (@PTI_News) June 13, 2022
जस्टिस शिंदे ने यह सब देख महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई। शिंदे ने कहा, “सोशल मीडिया पोस्ट में किसी का नाम नहीं है… और आप (सरकार) किसी को एक महीने के लिए जेल में रखते हैं। यह सब कुछ करने का अधिकार कैसे हैं।”
जस्टिस ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा, “हर दिन सैंकड़ों-हजारों पोस्ट किए जाते हैं। क्या आप हर ट्वीट पर संज्ञान लेंगे?” कोर्ट ने कहा कि वह इस तरह की एफआईआर नहीं चाहते हैं। कुछ अन्य छात्रों को भी इस तरह हिरासत में रखा गया है। अदालत बोली कि इस प्रकार एक व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना शरद पवार की प्रतिष्ठा के लिए किसी सोशल मीडिया पोस्ट से अधिक हानिकारक है।
कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को समझाया, “यदि आप इस प्रकार की कार्रवाई करेंगे तो आप उस व्यक्ति के नाम को नुकसान पहुँचाएँगे जिसे देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार मिल चुका है। ये सब उस शख्सियत को भी नहीं पसंद आएगा। कोर्ट नहीं चाहता कि उस बड़े व्यक्तित्व के सम्मान में कमी आए।”
कोर्ट ने इस केस की अगली सुनवाई की तारीख 16 जून रखी है। कोर्ट ने पब्लिक प्रॉजिक्यूटर को कहा है कि वो गृह विभाग से छात्र की रिहाई पर अनापत्ति का बयान लाएँ। कोर्ट ने यह भी समझाया कि अगर गृह विभाग इस छात्र की रिहाई के लिए तैयार हो जाता है तो राज्य की छवि बचेगी।
बता दें कि 22 साल के निखिल भामरे नामक छात्र की गिरफ्तारी 11 मई की शाम हुई थी। उनपे 6 एफआईआर हुईं। आरोप लगा था कि उन्होंने शरद पवार पर आपत्तिजनक बात कही। हालाँकि जब कोर्ट ने ट्वीट देखा तो उसमें किसी शख्स की बात नहीं थी। ट्वीट में लिखा था, “बारामती के गाँधी, बारामती में नाथू गोडसे को बनाने का समय आ गया है।” अब चूँकि बारामती शरद पवार का गृह नगर है, इसलिए इस ट्वीट को उनसे जोड़ लिया गया और आईपीसी की धारा 153, 153ए, 500, 501, 504, 505, 506 के तहत केस दर्ज होने के बाद नासिक की डिंडोरी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।