Wednesday, November 6, 2024
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शारदा चिटफंड: कोलकाता पुलिस कमिश्नर की तलाश में CBI, ममता के हैं करीबी

रोज़ वैली घोटाला ₹15,000 करोड़ से अधिक का है और शारदा चिटफंड घोटाला क़रीब ₹2500 करोड़ का है। दोनों ही मामलों में सभी आरोपित कथित तौर पर सत्ताधारी टीएमसी से जुड़े पाए गए हैं।

शारदा चिटफंड और रोज़ वैली घोटाले में कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की CBI तलाश कर रही है। CBI राजीव कुमार से आवश्यक दस्तावेज़ों और फ़ाइलों के ग़ायब होने से संबंधित पूछताछ करना चाहती है। इस मामले में CBI राजीव कुमार को गिरफ़्तार भी कर सकती है। राजीव कुमार CBI द्वारा जारी किए गए नोटिस का जवाब नहीं दे रहे हैं। बता दें कि राजीव ने चिटफंड घोटालों की जाँच करने वाली पश्चिम बंगाल पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का नेतृत्व किया था।

राजीव कुमार पश्चिम बंगाल काडर के 1989 बैच के IPS ऑफिसर हैं। उन्हें 2016 में कोलकाता का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया था। चुनाव की तैयारियों के अवलोकन करने के लिए चुनाव आयोग की एक टीम जब उनसे मिलने कोलकाता पहुँची तो वो उनसे मिलने की बजाए अपने ऑफ़िस चले गए।

इसके बाद उनके कार्यालय में फ़ोन के ज़रिए उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनके ऑफ़िस के कर्मचारी ने बताया कि राजीव कुमार अब शायद ही आफ़िस में मिल पाएँ, इसलिए उनसे बात करने के लिए उनके घर या व्यक्तिगत नंबर पर कॉल करें। इसके लिए उक्त कर्मचारी ने राजीव के घर का नंबर भी बताया, जिस पर उस समय संपर्क नहीं हो पाया। इसके अलावा राजीव कुमार से उनके मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास भी किया गया, जो विफल रहा।

अधिकारियों के मुताबिक़ बंगाली फिल्म निर्माता श्रीकांत मोहिता को गिरफ़्तार किए जाने के बाद से ही राजीव को भी गिरफ़्तारी का डर सता रहा है। इसलिए वो किसी भी तरह की पूछताछ से बचते नज़र आ रहे हैं।

बता दें कि रोज़ वैली घोटाला ₹15,000 करोड़ से अधिक का है और शारदा चिटफंड घोटाला क़रीब ₹2500 करोड़ का है। अधिकारियों के मुताबिक, दोनों ही मामलों में सभी आरोपित कथित तौर पर सत्ताधारी टीएमसी से जुड़े पाए गए। इन दोनों ही चिटफंड घोटालों की जाँच CBI कर रही है।

आपको बता दें कि CBI को इस जाँच में पहले भी ममता सरकार द्वारा दिक़्कतों का सामना करना पड़ा है। CBI ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार के ‘शत्रुतापूर्ण’ व्यवहार के चलते अंतिम आरोप पत्र दाखिल करने में देरी हो रही है। इसके अलावा एक आरटीआई के माध्यम से भी यह ख़ुलासा हुआ था कि पश्चिम बंगाल सरकार भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) को योजनाओं और ई-ख़रीद से संबंधित विवरण साझा करने से मना कर रही थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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