Sunday, February 2, 2025
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ममता सरकार शारदा चिट फंड घोटाले की जाँच में बाधा उत्पन्न कर रही है : CBI

CBI ने हाल ही में शारदा चिट फंड घोटाले में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के ख़िलाफ़ भी आरोप पत्र दायर किया है।

केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकार पर करोड़ों रुपये के शारदा पोंजी घोटाले की जाँच में रुकावट डालने का आरोप लगाया है। सीबाआई ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार के ‘शत्रुतापूर्ण’ व्यवहार के चलते अंतिम आरोप पत्र दाखिल करने में देरी हो रही है।

“राज्य सरकार सीबीआई से शत्रुतापूर्ण व्यवहार कर रही है और शारदा घोटाले मामले में, राज्य स्तर के सरकारी तंत्र ने सभी सबूतों को नुक़सान पहुँचाया है।” यह बात सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रिपोर्टों के हवाले से कही थी। यही कारण है कि, अधिकारी ने कहा, चार्जशीट दाखिल करने में देरी हो रही है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बैंकिंग सुरक्षा धोखाधड़ी शाखा, विशेष अपराध शाखा और प्रीमियर जाँच एजेंसी के आर्थिक अपराधियों को ग़ैर-संचालित करार दिया था, क्योंकि पश्चिम बंगाल ने पिछले साल सीबीआई से सामान्य सहमति वापस ले ली थी। अधिकारी ने आगे कहा “केवल आर्थिक अपराध IV (चिट फंड जाँच विंग) राज्य में काम कर रहा है।”

इस महीने की शुरुआत में, सीबीआई ने रोज़ वैली चिट फंड घोटाले के सिलसिले में श्री वेंकटेश फिल्म्स के प्रमुख श्रीकांत मोहता को नामजद किया था। ऐसा आरोप लगाया जाता है कि मोहता के प्रोडक्शन हाउस को रोज़ वैली द्वारा 17 फ़िल्मों के निर्माण के लिए ₹25 करोड़ का भुगतान किया गया था।

शारदा घोटाला 2013 में उजागर हुआ था। कई राजनीतिक नेता इस पोंजी योजना से जुड़े थे जो 200 से अधिक कंपनियों के सहयोग से चलाया गया था। शारदा समूह ने कथित रूप से लाखों छोटे निवेशकों से 200 बिलियन से अधिक रुपये इकट्ठे किए थे। यह समूह अप्रैल 2013 में ध्वस्त हो गया था और एक साल बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने CBI को राज्य स्तर की SIT द्वारा जाँच कराए जाने का आदेश दिया था।

बता दें कि CBI ने हाल ही में शारदा चिट फंड घोटाले में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के ख़िलाफ़ भी आरोप पत्र दायर किया है।

पश्चिम बंगाल में CBI एकमात्र संस्थान नहीं है, जिसने राज्य सरकार पर इसका अनुपालन न करने का आरोप लगाया है। पिछले साल, एक आरटीआई के माध्यम से भी यह ख़ुलासा हुआ था कि पश्चिम बंगाल सरकार भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) को योजनाओं और ई-ख़रीद से संबंधित विवरण साझा करने से मना कर रही थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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