यासीन मालिक के बुरे दिन चालू हो गए हैं। कश्मीर में अलगाववाद पर लगाम लगाने की कवायद में जुटे राज्य प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया है। पब्लिक सेफ्टी एक्ट(PSA) के तहत यासीन मलिक को गिरफ्त में लिया गया और उसे श्रीनगर से बाहर जम्मू स्थित कोट भलवाल जेल में रखा जाएगा। इसके साथ ही 30 साल पुराने रुबैया सईद अपहरण मामले में भी नया मोड़ आया है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने यासीन मलिक का केस जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की श्रीनगर विंग से जम्मू विंग में स्थानांतरित करने की अर्जी लगाई है जिस पर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने मुहर लगा दी है। यह मामला 30 साल पहले का है जिसमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण और भारतीय वायुसेना के 4 अधिकारियों की हत्या के मुख्य आरोपित यासीन मलिक पर केस दर्ज हुआ था।
Huge. CBI all set to reopen the 30 year old case against terrorist turned radical separatist Yasin Malik in the Rubiya Saeed kidnapping case and killing of four Indian Air Force Officers in Kashmir. CBI has filed transfer application in court of J&K Chief Justice Gita Mittal. pic.twitter.com/uBmv4UGFbT
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) March 7, 2019
सीबीआई का कहना है कि कश्मीर घाटी में यासीन मलिक एक रसूखदार व्यक्ति है जिसके कारण वह मुकदमे को प्रभावित कर सकता है इसलिए इस मामले को श्रीनगर विंग से हटाकर जम्मू विंग में ट्रांसफर किया जाए। सीबीआई की अर्जी पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने मामले को कोर्ट की जम्मू विंग में स्थानांतरित करने पर यासीन मलिक और एक अन्य को आपत्ति दर्ज कराने के लिए एक दिन का मौका दिया है।
ध्यातव्य है कि यासीन मलिक एक आतंकी है और ‘अलगाववादी नेता’ के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का चीफ भी है। जेकेएलएफ मूलतः एक आतंकवादी संगठन है जिसकी स्थापना 1977 में की गई थी। सन 1989 में इसी संगठन के आतंकियों ने जस्टिस नीलकंठ गंजू की हत्या की थी। दिसंबर 1989 में मुफ़्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण किया गया था जिसके बदले में पाँच आतंकियों को छोड़ा गया था।
दिसंबर 8, 1989 को रुबैया सईद के अपहरण के बाद पंद्रह दिनों तक ड्रामा चला था जिसके बाद वी पी सिंह सरकार द्वारा अब्दुल हमीद शेख़, शेर खान, नूर मोहम्मद कलवल, अल्ताफ अहमद और जावेद अहमद जरगर नामक आतंकियों को जेल से छोड़ा गया था। चौदह साल बाद जेकेएलएफ के जावेद मीर ने रुबैया सईद के अपहरण की बात कबूल की थी।
अगले साल जनवरी 25 जनवरी 1990 को जेकेएलएफ ने भारतीय वायु सेना के 4 अधिकारियों की हत्या कर दी थी। खुद यासीन मलिक ने भी बीबीसी को दिए इंटरव्यू में यह स्वीकार किया था कि उसने ड्यूटी पर जा रहे 40 वायुसैनिकों पर गोलियाँ चलाई थीं। इसके बावजूद वह आजतक कानून के शिकंजे से बाहर खुला घूम रहा है। उम्मीद है कि केस में सीबीआई के नए निर्णय के बाद इस मामले में तेज़ी आएगी और यासीन मलिक को सज़ा मिलेगी।