पड़ोसी देश चीन ने आतंकवाद से लड़ाई के मुद्दे पर वाइट पेपर जारी किया है। चीन पर शिंजियांग प्रान्त में मानवाधिकार हनन के आरोप लगते रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सत्ता संभालने के बाद मानवाधिकार हनन के मामले और ज्यादा हो गए हैं। अब चीन ने दावा किया है कि उसने पिछले पाँच वर्षों में शिंजियांग प्रान्त से 13,000 इस्लामिक आतंकियों को गिरफ़्तार किया है। चीन का शिंजियांग प्रान्त अलगाववाद और कट्टरवाद की चपेट में है। चीन के इस पश्चिमी प्रांत में रह रहे उईगर मुस्लिम ख़ुद को तुर्क के क़रीब मानते हैं लेकिन चीन ने “The Fight Against Terrorism and Extremism and Human Rights Protection in Xinjiang” नामक रिपोर्ट में कहा है कि 20वीं सदी की शुरुआत में ही यहाँ पैन-इस्लामिक और पैन-तुर्की सोच हावी हो गई थी।
रिपोर्ट में चीन ने कहा है कि इस क्षेत्र में इस्लाम के आने के साथ ही यहाँ की धार्मिक संरचना में बदलाव आ गया और शासकों ने युद्ध और जबरदस्ती इस्लाम को फैलाया। चीन ने साथ ही यह भी दावा किया कि उसने क्षेत्र में मानवाधिकार की रक्षा की है। यह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की ‘वर्ल्ड रिपोर्ट 2018‘ में कही गई बातों के एकदम विपरीत है। यूएन ने कहा था कि चीन उईगर मुस्लिमों के तौर-तरीकों और परम्परा को ख़तरनाक मानता है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि चीन ने क्षेत्र के कुछ हिस्सों में लोगों को जबरन एक सरकारी सर्विलेंस ऐप डाउनलोड करने को मजबूर किया।
जबकि, चीन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उसने 2014 से अब तक 12,995 आतंकियों को गिरफ़्तार किया, 2,052 विस्फोटक सामग्री को जब्त किया, 1,588 हिंसक एवं आतंकी गैंगों को नेस्तनाबूत किया, 30,645 लोगों को 4,858 अवैध धार्मिक गतिविधियों (illegal religious practices) के लिए दण्डित किया। चीन ने आँकड़े गिनाते हुए कहा कि कई तो ऐसे आतंकी थे जिन्होंने दंड पाने के बावजूद फिर से वही कार्य किया। ऐसे लोगों पर और भी अधिक कार्रवाई की गई। चीन ने कहा है कि शासन से लेकर स्कूलों तक, हर जगह धार्मिक बीज बोए जा रहे थे, जिसपर क़ाबू पाने के लिए हरसंभव प्रयास किए गए।
चीन ने क्षेत्र में रोज़गार सहित कई विकास कार्यों को गिनाते हुए दावा किया कि उसने आतंक और अलगाववाद को समाप्त करने के लिए जनता के लिए विकास कार्यों का सहारा लिया है। चीन ने अपने प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इन्ही सब उपायों के कारण पिछले 2 वर्षों से शिंजियांग में कोई हिंसक आतंकी गतिविधि नहीं हुई है। चीन ने दावा किया कि उसने इसके लिए किसी भी धर्म विशेष या उसकी रीति-रिवाजों को निशाना नहीं बनाया। चीन ने दावा किया कि कम्युनिस्ट पार्टी के शासनकाल में शिंजियांग के लिए यह आर्थिक व सामाजिक उत्थान का दौर है।
“It is indisputable that Xinjiang is an inseparable part of Chinese territory,” said the white paper, titled “The Fight Against Terrorism and Extremism and Human Rights Protection in #Xinjiang.” https://t.co/yGCrabTHrE pic.twitter.com/JzogdlYB4i
— China Xinhua News (@XHNews) March 18, 2019
हालाँकि, चीन के इन आँकड़ों से पता चलता है कि चीन भले ही मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने में लगातार अड़ंगा लगाता रहा हो लेकिन अपने देश में उसने आतंकवाद को लेकर मानवाधिकारों का हनन करने के साथ-साथ सभी हथकंडे अपनाए हैं। चीन के अनुसार, उसके देश में आतंकवाद वही है जो उसने अपनी परिभाषा के हिसाब से तय किया है। उस आतंकवाद को निरस्त करने के लिए चीन संयुक्त राष्ट्र से लेकर अपने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तक की भी नहीं सुनता। ऐसे कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को ‘क्रैकडाउन 709’ का प्रयोग कर जेल में डाल दिया गया।