Sunday, November 17, 2024
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‘यदि यह शिव लिंग है तो शायद शिव जी का भी खतना कर दिया गया था’: DU के प्रोफ़ेसर ने की ओछी टिप्पणी, कार्रवाई की माँग

"कब खून खौलेगा बीजेपी सरकार का, ये तो कानून के हिसाब से भी स्वीकार नहीं है, बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना।"

वाराणसी के ज्ञानवापी विवादित ढाँचे की सच्चाई क्या सामने आई, पूरा का पूरा लिबरल, वामपंथी और कट्टर इस्लामी गिरोह तभी से बौखलाया हुआ है। इसी कड़ी में दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफ़ेसर ने ज्ञानवापी के वजूखाने में मिले शिवलिंग पर टिप्पणी करते हुए सारी सीमाएँ लाँघ गए हैं। जिसकी तीखी आलोचना के साथ कार्रवाई की माँग हो रही है। सोशल मीडिया पर उनके द्वारा ज्ञानवापी में पाए गए काशी विश्वनाथ पर की गई ओछी टिप्पणी पर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएँ आहत हो गईं हैं।

दिल्ली के हिन्दू कॉलेज में इतिहास के एसोसिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत रतन लाल ने फेसबुक पर एक लिंक साझा करते हुए लिखा, “यदि यह शिव लिंग है तो लगता है शायद शिव जी का भी खतना कर दिया गया था। साथ ही पोस्ट में चिढ़ाने वाला इमोजी भी लगाया है 😜 .वहीं तस्वीर का क्रेडिट लल्लनटॉप (PC: The Lallantop) को दिया गया है।

प्रोफ़ेसर की इस ओछी पोस्ट पर कई लोगों ने जहाँ उन्हें लताड़ लगाई है तो वहीं बहुत से वामपंथी, लिबरल और कट्टरपंथी मुस्लिमों के गिरोह हाहा करते और वाहियात टिप्पणी के साथ गाली-गलौज भी करते हुए नजर आए।

संजय कुमार नाम के एक व्यक्ति ने फेसबुक पर उन्हीं के पोस्ट के कमेंट में लिखा है, “जानबूझ कर लिबरल दिखने की कोशिश में ओछेपन पर उतर आए। इतिहास के प्रोफेसर हो आप, तथ्यों पर बात करो।आपसे बेहतर उम्मीद थी।”

वहीं मिस्टर सिन्हा नाम के एक यूजर ने ट्विटर पर हिन्दू कॉलेज के प्रोफ़ेसर रतन लाल के प्रोफाइल और फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को टैग कर सख्त करवाई की माँग की। उन्होंने लिखा, “हम एक प्रोफेसर की ऐसी बकवास कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं @dpradhanbjp जी? एक प्रोफेसर से ऐसी बकवास आने से यह और अधिक हास्यास्पद हो जाता है क्योंकि वह सैकड़ों निर्दोष छात्रों को प्रभावित कर सकता है।” इसी पोस्ट में उन्होंने दिल्ली पोलिस को भी टैग करते हुए सख्त कार्रवाई की माँग की है।

बाद में तो लोगों ने रतन लाल की पूरी प्रोफाइल ही खंगाल दी है। रतन लाल ‘अम्बेडकर नामा’ के प्रधान संपादक खुद को बताते हैं। साथ ही इनके प्रोफाइल पर ही इन्होने खुद का परिचय हिन्दू कॉलेज में इतिहास के एसोसिएट प्रोफ़ेसर के रूप में दे रखी है।

वहीं विवेक नाम के एक ट्विटर यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, “कब खून खौलेगा बीजेपी सरकार का, ये तो कानून के हिसाब से भी स्वीकार नहीं है, बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना।”

गौरतलब है कि वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी ढाँचे से एक शिवलिंग मिला है, जो कहा जा रहा है कि बेशकीमती पत्ना पत्थर का बना हुआ है। सर्वे में शामिल एक सूत्र के मुताबिक, “यह वही शिवलिंग है, जिसे अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल ने बनारस के पंडित नारायण भट्ट के साथ मिलकर 1585 में स्थापित कराया था। इस शिवलिंग का रंग हरा है। इसके ऊपर का कुछ हिस्सा औरंगजेब की तबाही में क्षतिग्रस्त हो गया था। इस शिवलिंग का साइज करीब 2 मीटर बताया जा रहा है। यह देखने में काफी आकर्षक है।”

बता दें कि शिवलिंग श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित नंदी के सामने वाले ज्ञानवापी के हिस्से में है। लेकिन यहाँ असली सवाल ये है कि जिस ज्ञानवापी को ‘मस्जिद’ बता कर मुस्लिम वहाँ नमाज पढ़ते आ रहे थे और जिस वजूखाने में हाथ-पाँव धो रहे थे, वहीं पर शिवलिंग मिला है। अदालत की निगरानी में हुई प्रक्रिया में सच्चाई सामने आने के बावजूद लिबरल, वामपंथी और कट्टर इस्लामी गिरोह इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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