चुनावी पारा इन दिनों चरम पर है। हर पार्टी और उसके कार्यकर्ता अपनी नीतियों और विचारधाराओं को परोसकर जनमत निर्माण करने के लिए सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में बंगाल के एक मौलवी शब्बीर अली का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में जिस भाषा और संदर्भ का इस्तेमाल किया गया है, वो घटिया तो है ही, देशद्रोही भी है। लेकिन क्या यह वीडियो सही है या इसे एडिट कर वायरल बनाने की चाल है? आइए करते हैं पड़ताल।
पहले वीडियो देखिए
इस वीडियो में कोलकाता की एक भीड़ को मौलाना शब्बीर अली संबोधित कर रहे हैं। बात रोहिंग्या की हो रही है। धमकी केंद्र सरकार को दी जा रही है। धमकी भी ऐसी, जिसके हर एक शब्द से देशद्रोह टपक रहा है। वीडियो में मौलाना भीड़ में शामिल लोगों को मजहब की ताकत से वाकिफ़ कराते दिख रहे हैं – पूरी ऊँची आवाज के साथ।
मजहबी भाई-भाई और धमकी
मौलाना शब्बीर के शब्द सुनिए, “इंशाअल्लाह…इंशाअल्लाह… सुनो…सुनो हमारा ये मेमोरेंडम है दिल्ली की सरकार से कि ये रोहिंग्या, ये हमारे भाई हैं। ये हमारे समुदाय के हैं। जो इनका कुरान, वो मेरा कुरान। जो इनके रसूल, वो मेरे रसूल। जो इनका खुदा, वो मेरे खुदा। ये मत समझना कि हिंदुस्तान के मजहबियों से रोहिंग्या अलग है। दुनिया में कहीं भी हों, हम सब आपस में भाई हैं। इस्लाम के सब लोग आपस में भाई हैं।”
अपने भड़काऊ भाषण को आगे बढ़ाते हुए शब्बीर ने खुलेआम इस वीडियो में सरकार को धमकी दी है। शब्बीर ने इस वीडियो में बंगाल में रह रहे रोहिंग्याओं के बारे में कहा, “हम करबला वाले हैं, हम हुसैनी हैं, हम 72 भी होते हैं तो लाखों का जनाजा निकाल देते हैं। और रोहिंग्या को लावारिस मत समझना कि उन्हें बंगाल से निकाल दोगे। सुनो… ये असम नहीं, ये गुजरात नहीं, ये यूपी नहीं, ये मुजफ्फरनगर नहीं… ये बंगाल है, बंगाल। और बंगाल में अभी तक किसी माँ ने वो औलाद नहीं जना है जो रोहिंग्याओं को निकाल कर दिखा दे।”
फै़क्ट चेक
ऐसे समय में जब चुनाव आचार संहिता लागू है, इस तरह का वीडियो मन में शंका पैदा करता है। शंका इसलिए क्योंकि चुनाव के वक्त इतनी भीड़ का जुटना बिना किसी नेता के संभव नहीं। कुछ की-वर्ड्स गूगल पर डाले, न्यूज और वीडियो सेक्शन में उनको खंगाले और नतीजा सामने है। यह वीडियो सितंबर 2017 का है। खबरों में यह आया 19-20 सितंबर 2017 को। ऊपर जो यूट्यूब का लिंक लगा है, वो 19 सितंबर 2017 का है।
वीडियो असली, वायरल कराने की मंशा घातक
वीडियो असली है, एडिटेड नहीं – यह प्रमाणित हो चुका है। लेकिन इतने भड़काऊ वीडियो का तकरीबन पौने दो साल बाद अचानक से वायरल होना बहुत कुछ कहता है। हो सकता है यह कुछ शातिर नेताओं की चुनावी रणनीतियों का हिस्सा हो। जिन भड़काऊ बयानों पर एक्शन लिया जाना चाहिए, उसे चुनाव के नज़दीक होने पर प्रासंगिक बनाकर वायरल किया जा रहा है। ये जितना शर्मासार करने वाला है, उससे भी कहीं ज्यादा खतरनाक है। मंच पर दिए भाषणों का प्रभाव प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से श्रोताओं पर पड़ता ही है। और अगर वो वायरल हो गया तब तो जहाँ तक उसकी पहुँच है, वो हर एक सुनने-देखने वाले को प्रभावित करेगा ही। वीडियो के मौलाना शब्बीर की मानसिकता खतरनाक है। साथ ही इसे वायरल करने-करवाने वाले की भी। चुनाव आयोग को इसका संज्ञान लेना चाहिए।
यदि बंगाल में या कहीं और ‘जनमत निर्माण’ का निर्धारण मौलाना शब्बीर जैसे लोगों के भाषणों द्वारा किया जाता है, तो हम सोच सकते हैं कि देश में नागरिकों के भीतर लोकतंत्र की सोच को किस प्रकार से बरगलाया जा रहा है। देखा जाए तो भीड़ में मौजूद लोग (मौलाना के समर्थक) और इस वीडियो को शेयर करने वाले लोग ही देश के नागरिक हैं। तो फिर हमें विचार करने की जरूरत है कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश में किस माहौल का निर्माण कर रहे हैं? जिन अराजक तत्वों से देश की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है, उन्हें हम धर्म का ठेकेदार बनाकर परिभाषित भी कर रहे हैं और मानक भी मान रहे हैं!!
बता दें कि शब्बीर के इस धमकी भरे भाषण से पहले कई आतंकवादी संगठन भी रोहिंग्याओं के मुद्दे को आधार बनाकर सरकार को ‘जिहाद’ की धमकी दे रहे थे। उन धमकियों में आतंकी संगठनों ने बोला था कि वो मोदी सरकार और भारत से बदला लेने के लिए 1 लाख जिहादियों की फौज़ तैयार कर रहे हैं।