Monday, November 18, 2024
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सबरीमाला पर केरल सरकार का फ़र्ज़ीवाड़ा: 51 की सूची में नाम, लिंग, उम्र हर चीज से खिलवाड़

मंदिर के भीतर CPIM के दो कार्यकर्ताओं बिंदू और कनकदुर्गा को श्राइन के अन्दर ले जाने के लिए किए गए विशेष उपायों पर उच्च न्यायालय के पैनल ने सवाल उठाया था

केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह दावा किया था प्रतिबंधित आयु वर्ग की 51 महिलाएँ अब तक सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर चुकी हैं। हालाँकि राज्य सरकार के इस दावे के एक दिन बाद ही एक रिपोर्ट सामने आई है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा दी गई सूची तमाम विसंगतियों से भरा और फ़र्ज़ी आँकड़ों का पुलिंदा है।

विहिप नेता और वकील प्रथमेश विश्वनाथ, जो ‘अयप्पा भक्तों’ के विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रहे हैं, ने इस मामले पर एक ट्वीट किया। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा कि केरल सरकार का 50 से कम उम्र की 51 महिलाओं का मंदिर में प्रवेश संबंधित दावा एकदम झूठा है। विश्वनाथ ने आरोप लगाया कि राज्य की कम्युनिस्ट सरकार सबरीमाला मामले में दायर समीक्षा याचिकाओं में बदलाव करने के लिए दबाव डाल रही है।

विश्वनाथ ने आरोप लगाया कि सूची में कई महिलाएँ वास्तव में 50 वर्ष से अधिक उम्र की हैं। यहाँ तक ​​कि केरल सरकार ने 51 महिलाओं की सूची को बनाने के लिए कई अन्य लोगों के उम्र और अन्य विवरण भी फ़र्ज़ी इस्तेमाल किए।

कई रिपोर्ट अब सामने आई है, जहाँ रजिस्टर्ड महिलाओं के नाम और विवरण में जालसाज़ी पाई गई है।

सूची में ‘कलावती’ के नाम से दर्ज़ मोबाइल नंबर एक ड्राइवर का पाया गया। जब टाइम्स नाउ ने उससे संपर्क किया, तो उस व्यक्ति ने पुष्टि की कि कलावती नाम की कोई महिला यहाँ नहीं है और उसके मोबाइल नंबर को फ़र्ज़ी तरीक़े से वहाँ से रजिस्टर्ड किया गया है।

इसी तरह, एक अन्य नाम ‘देवीगासीमणि’, 42 वर्षीय महिला के रूप में रजिस्टर्ड किया गया था। वह पुरुष निकला और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर उसके दोस्त की थी। टाइम्स नाउ के पत्रकार ने बताया कि उसने 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के रूप में रजिस्टर्ड 5 रैंडम मोबाइल नम्बरों को डायल किया, जो मंदिर में प्रवेश कर चुकी थीं। हैरत की बात है कि सभी पाँच नंबर फ़र्ज़ी निकले।

रिपोर्ट के अनुसार, सूची में कई नामों के सामने गलत उम्र लिखा गया है। 60 वर्ष उम्र की महिलाओं को 50 से कम उम्र की महिलाओं के रूप में दिखाया गया है।

केरल सरकार ने कल दायर अपने हलफ़नामे में दावा किया था कि सूची केरल पुलिस द्वारा बनाए गए डिजिटल क्यू मैनेजमेंट प्रणाली से प्राप्त की गई है। उन्होंने दावा किया था कि इस वर्ष 16 लाख से अधिक लोगों ने मंदिर में दर्शन करने के लिए आवेदन किया है और उनमें से 7500 से अधिक महिलाएँ हैं। उन्होंने यह भी दावा किया था कि अब तक 8.2 लाख से अधिक तीर्थयात्री यात्रा कर चुके हैं और उनमें से 51 महिलाएँ 50 वर्ष से कम उम्र की थीं।

केरल पुलिस को उच्च न्यायालय के निगरानी पैनल ने भी फटकार लगाई थी, जिसने मंदिर के भीतर CPIM के दो कार्यकर्ताओं बिंदू और कनकदुर्गा को श्राइन के अन्दर ले जाने के लिए किए गए विशेष उपायों पर भी सवाल उठाया था। केरल पुलिस मंदिर के कर्मचारियों और वीआईपी के लिए आरक्षित एक गेट के माध्यम से दोनों महिलाओं को छिपा कर अंदर ले गई थी। बता दें कि तीर्थयात्रियों को उस गेट से जाने की अनुमति नहीं है।

केरल में विपक्षी दलों और सबरीमाला कर्म समिति ने केरल सरकार के ‘फ़र्ज़ी सूची पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि केरल सरकार केवल हिंदुओं का अपमान करने और समीक्षा याचिकाओं में रोड़ा अटकाने के लिए ऐसा कर रही है। राज्य भाजपा अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने कहा है कि यह सूची “सदी का सबसे बड़ा झूठ” है। कॉन्ग्रेस ने भी कहा कि कम्युनिस्ट सरकार ख़ुद ही “हँसी का पात्र” बन गई है।

केरल की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा की गई ज़्यादतियों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध करने वाले शांतिपूर्ण श्रद्धालुओं पर किए गए अत्याचार ने राज्य में व्यापक अशांति और असंतोष फ़ैलाया है। सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर हजारों फ़र्ज़ी मामले दर्ज़ कर दिए हैं। इसके अलावा राज्य में श्रद्धालुओं पर हिंसा के कई उदाहरण सामने आए हैं। पीएम मोदी ने हाल ही में कोल्लम में अपने संबोधन में कहा था कि सबरीमाला में कम्युनिस्ट सरकार की कार्रवाई केरल सरकार के सबसे पापपूर्ण व्यवहारों के रूप में इतिहास में दर्ज़ की जाएगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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